अंगिका डिक्शनरी

अंगिका हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

अंगिका शब्दकोश का महत्व

महाभारत में जिस अंग प्रदेश का उल्लेख मिलता है, जानकारों के अनुसार आज के भागलपुर, मुंगेर, पूर्णिया तथा संथाल परगना जैसे क्षेत्र उसी अंग प्रदेश के अंतर्गत थे। अंग प्रदेश की भाषा अंगिकाके नाम से प्रसिद्ध हुई। विकास की दृष्टि से इस भाषा के प्रारंभिक दौर को 'प्राकृत' और 'अपभ्रंश' से संबद्ध किया जाता है। खासतौर पर यह भाषा दक्षिण बिहार, झारखंड, बंगाल, असम, उड़ीसा और नेपाल के तराई के क्षेत्रों में बोली जाती है। प्राचीन काल में तो इसका प्रभाव कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया आदि देशों तक था, तब इसकी अपनी लिपि भी थी जिसे 'अंग लिपि' कहा जाता था। क़रीब पाँच करोड़ लोग इसे अपनी मातृभाषा मानते हैं। देशी, दखनाहा, मुंगेरिया, देवघरिया, गिध्होरिया और धरमपुरिया अंगिका की उपभाषाएँ हैं।

हालाँकि अंगिका भाषा का एक समृद्ध साहित्यिक इतिहास है। वर्षों पहले आठवीं सदी में ही इस भाषा के कवि सरहपा ने साहित्य जगत में ऊँचाइयाँ हासिल की थी, लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि दुनिया की संकटग्रस्त भाषाओं में इसकी भी गिनती होती है। संतोष की बात यह है कि संकट के बादल इस पर अभी हावी नहीं हैं क्योंकि इस भाषा में लेखन कार्य जारी है। इसके शब्दकोश तैयार हो चुके हैं। इसके अलावा कुछ लोगों ने इस भाषा की फिल्में भी बनाई हैं। हिन्दवी डिक्शनरीने अंगिका की शब्द-संपदा को भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन की अपनी योजना का हिस्सा बनाया है। इससे लोगों को अंगिका शब्दकोशकी सुविधा भी हासिल हो रही है।

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