अवधी डिक्शनरी
अवधी हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश
अवधी शब्दकोश का महत्व
अवधी भाषा की एक समृद्ध और गौरवशाली
पृष्ठभूमि है। तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं मलिक मुहम्मद जायसी कृत पद्मावत सहित
कई अन्य प्रमुख ग्रंथ इसी भाषा में रचे गए हैं। संत कवि बाबा मलूकदास, बाबा
मथुरादास सहित साहित्य जगत की कई प्रसिद्ध विभूतियों को इस भाषा ने आकर्षित किया
है। उत्तर प्रदेश के ‘अवध क्षेत्र’ अर्थात्
लखनऊ, रायबरेली, सुल्तानपुर, बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, अयोध्या, जौनपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, कौशांबी, अंबेडकर नगर, गोंडा, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती
तथा फतेहपुर जैसे जिलों में यह भाषा काफ़ी लोकप्रिय है। मध्य प्रदेश, बिहार और
छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों के अलावा नेपाल, फ़िज़ी, सूरीनाम, मॉरिशस, त्रिनिदाद
एवं टुबैगो आदि देशों में भी इसे बोलने
वालों की बहुत बड़ी संख्या है।
अवधी भाषा की उत्पत्ति को लेकर
विभिन्न मत सामने आए हैं। ब्रिटिशकाल के प्रसिद्ध भाषाविद् जॉर्ज अब्राहम
ग्रियर्सन ने इसकी उत्पत्ति अर्द्धमागधी, डॉक्टर बाबूराम
सक्सेना ने पाली, आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने नागर अपभ्रंश, डॉक्टर
भोलानाथ तिवारी ने कोसली, तो प्रसिद्ध कवि जगन्नाथदास रत्नाकर
ने शौरसेनी से मानी है।
प्राचीन अवधी साहित्य के शिल्पियों ने देशप्रेम और समाज सुधार को विशेष महत्व दिया है। अवधी लोक साहित्य पर कई शोध हो चुके हैं। लोकगायकों और कलाकारों के लिए यह भाषा प्राचीन काल से ही लोकप्रिय रही है। हिंदी के जाने-माने साहित्यकार विश्वनाथ त्रिपाठी ने अवधी भाषा और व्याकरण पर महत्त्वपूर्ण पुस्तक लिखी है। हिंदी खड़ी बोली से अवधी की मुख्य विभिन्नता व्याकरणात्मक ही मानी गई है। अवधी के लिए गर्व की बात यह है कि दुनिया के करोड़ों लोग इस भाषा को बोलते हैं। अवधी भाषा और साहित्य के प्रति देश-विदेश के करोड़ों लोगों की दिलचस्पी को देखते हुए ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ ने इसकी शब्द-संपदा को भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन की अपनी महत्वपूर्ण योजना में शामिल किया है। हमारे इस प्रयास से जिज्ञासुओं को ‘अवधी शब्दकोश’ की सुविधा भी हासिल हो रही है।
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