बज्जिका डिक्शनरी

बज्जिका हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

बज्जिका शब्दकोश का महत्व

प्राचीन भारतवर्ष के जिन महाजनपदों का उल्लेख तमाम ग्रंथों में मिलता है, उनमें से एक वैशाली भी प्रमुख था। इसी प्राचीन वैशाली गणराज्य से बज्जिका भाषा की ऐतिहासिकता एवं गरिमा का परिचय मिलता है। कुछ जानकारों ने बज्जिका को मैथिली का वह प्राचीन स्वरूप माना है, जिसके आधार पर मध्यकाल के राज्याश्रयी विद्वान कवियों ने आज की मानक मैथिली का निर्माण किया। बिहार के वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, समस्तीपुर जिलों में बज्जिका बोली जाती है। इसके अलावा पूर्वी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी जिलों में भी इसका बहुत अच्छा प्रभाव है। राज्य से लगे नेपाल के तराई क्षेत्र में भी बज्जिका बोली जाती है। करीब डेढ़ करोड़ लोग इस भाषा को बोलते हैं। पूर्व में कैथी लिपि में लिखी जाने वाली इस भाषा के लिए अब देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जा रहा है।

गयाधर, हलदर दास, मँगनीराम जैसे रचनाकारों को बज्जिका साहित्य की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है। गयाधर बौद्ध-धर्म के प्रचार हेतु तिब्बत तक गए। हलदर दास ने सुदामाचरित्र खंडकाव्य, तो मँगनीराम साखी, रामसागर पोथी और अनमोल रतन के रचनाकार हैं। राहुल सांकृत्यायन जैसे विद्वान ने भी इस भाषा के महत्व को समझा, लेकिन आज यह भी संकटग्रस्त भाषाओं की पंक्ति में खड़ी है। इसके बावजूद अच्छी बात यह है कि इसको बचाने के गंभीर प्रयास हो रहे हैं। बहुत से गीत, नाटक आदि बज्जिका में लिखे जा रहे हैं। इस भाषा के शब्दकोश भी आ चुके हैं और देश-विदेश के विश्वविद्यालयों में शोध-पत्र भी प्रकाशित हुए हैं। हिन्दवी डिक्शनरीने भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन की अपनी योजना में बज्जिकाकी शब्द-संपदा को शामिल किया है। इससे लोगों को बज्जिका शब्दकोशकी सुविधा भी प्राप्त हो रही है।

सब्सक्राइब कीजिए

आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।

बेहतर और सरल अनुभव के लिए हिन्दवी डिक्शनरी ऐप

डाउनलोड कीजिए

क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा