मगही डिक्शनरी

मगही हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

मगही शब्दकोश का महत्व

प्राचीन भारत में मगध साम्राज्य सत्ता का एक प्रमुख केंद्र था। इस साम्राज्य की भाषा मागधी प्राकृतसे ही आज की मगही भाषा का विकास हुआ। दुनिया की मधुर भाषाओं में शुमार मगही को बोलने वालों की संख्या करोड़ों में है। यह बिहार में पटना, राजगीर, नालंदा, जहानाबाद, गया, अरवल, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, मुंगेर, औरंगाबाद तथा झारखंड में पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, गिरिडीह और देवघर के कई क्षेत्रों में बोली जाती है। पश्चिम बंगाल के मालदा में भी यह संवाद की भाषा है। हालाँकि मगही की पारंपरिक लिपि कैथीहै, लेकिन अब यह देवनागरीमें लिखी जाती है।

मगही के समृद्ध अतीत और वर्तमान की बात करें तो बुद्ध और महावीर ने मागधी प्राकृत में उपदेश दिए थे। जैनियों के कई धर्मग्रंथ मगही में हैं। आज मगही भाषा के रचनाधर्मी तल्लीनता से अपने काम में जुटे हुए हैं। निरंतर नई-नई साहित्यिक कृतियाँ प्रकाशित हो रही हैं। प्राचीन परंपरागत लोकगीतों, लोककथाओं, लोकनाट्यों, मुहावरों, कहावतों तथा पहेलियों पर कार्य हो रहा है। विश्वविद्यालयों में इस भाषा और इसके साहित्य पर अनुसंधान भी हुए हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है। जानकारों के अनुसार मगही और भोजपुरी में कुछ एकरूपता अवश्य मिलती है, लेकिन फिर भी मगही का व्याकरणिक दृष्टि से अपना स्वतंत्र अस्तित्व है। प्रसिद्ध भाषाविद् ग्रियर्सन ने मगही भाषा को पूर्वी मगही तथा शुद्ध मगही दो रूपों में बाँटा, तो कृष्णदेव प्रसाद ने इसके आदर्श, शुद्ध, टलहा, सोनतरिया और जंगली जैसे रूप बताए हैं। करोड़ों लोगों की पसंद इस प्राचीन भाषा के महत्व को समझना सबके लिए ज़रूरी है। हिन्दवी डिक्शनरीने भाषाओं के संरक्षण, संवर्द्धन की अपनी योजना में मगही की शब्द-संपदा को शामिल किया है। इससे लोगों को मगही शब्दकोशकी सुविधा भी मिल रही है।

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