aaryaa meaning in braj
आर्या के ब्रज अर्थ
स्त्रीलिंग
- दादी
- सास
- एक प्रकार का अर्द्ध मात्रिक छन्द
- बरसाती खेत में उत्पन्न होने वाली ककड़ी
आर्या के हिंदी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- एक देवी जिन्होंने अनेक असुरों का वध किया और जो आदि शक्ति मानी जाती हैं, पार्वती
- पति या पत्नी की माता, सास
-
दादी , पितामही
विशेष
. इस शब्द का व्यवहार में श्रेष्ठ या बडी बूढ़ी स्त्रियों के लिये होता है । -
अर्धमात्रिक छंद का नाम , इसके पहले और तीसरे चरण में बारह बारह तथा दूसरे और चौथे चरम में 15मात्राएँ होती हैं
विशेष
. इस छंद में चार मात्राओं के गण को समूह कहते हैं । इसके पहसे, तीसरे, पाँचवें और सातवें चरण में जगण का निषेध है । छठे गण में जगण होना चाहिए । जैसे,— रामा, रामा, रामा, आठौ यामा, जपौ यही नाम । त्यागौ सारे कामा, पैहौ बैकुंठ विश्रामा । आर्य के मुख्य पाँच भेद हैं — (१) आर्या या गाहा, (२) गीति या उग्गाहा (३) उपगीति या गाहू, (४) उद्रगीति या विग्गाहा और (५) आर्यगीति या स्कंधक या रवंधा ।उदाहरण
. आर्या में पहले तथा तीसरे चरण में बारह-बारह और दूसरे तथा चौथे में पंद्रह-पंद्रह मात्राएँ होती हैं ।
आर्या के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएआर्या के तुकांत शब्द
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