आत्मा

आत्मा के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

आत्मा के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • मन
  • बुद्धि
  • चेतन तत्व
  • परमात्मा का शरीर में व्याप्त अंश
  • अत्यंत गंभीर
  • प्रसन्नता में संतान के लिए भी प्रयुक्त

आत्मा के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Feminine

  • soul, spirit

आत्मा के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • जीव
  • प्राणियों की वह चेतन शक्ति जिससे वे जीवित रहते हैं, चित्त
  • मन या हृदय के व्यापारों का ज्ञान कराने वाली सत्ता, बुद्धि

    उदाहरण
    . आत्मा का कभी नाश नहीं होता है।

  • अहंकार
  • मन
  • ब्रह्म

    विशेष
    . इस शब्द का प्रयोग विशेषकर जीव और ब्रह्म के अर्थ में होता है। इसका यौगिक अर्थ 'व्याप्त' है। जीव शरीर के प्रत्येक अंग व्याप्त है और ब्रह्म संसार के प्रत्येक अणु और अवकाश में। इसीलिए प्राचीनों ने इसका व्यवहार दोनों के लिए किया है। कहीं-कहीं 'प्रकृति' को भी शास्त्रों में इस शब्द से निर्दिष्ट किया गया है। साधारणतः जीव, ब्रह्म और प्रकृति तीनों के लिए या यों कहिए अनिर्वचनीय पदार्थों के लिए इस शब्द का प्रयोग हुआ है। इनमें 'जीव' के अर्थ में इसका प्रयोग मुख्य और 'ब्रह्म' और 'प्रकृति' के अर्थों में क्रमशः गौण है। दार्शनिकों के दो भेद हैं- एक आत्मवादी और दूसरे अनात्मवादी। प्रकृति ने पृथक् आत्मा को पदार्थ विशेष मानने वाले आत्मवादी कहलाते हैं। आत्मा को प्रकृति-विकार-विशेष मानने वाले अनात्मवादी कहलाते हैं, जिनके मत में प्रकृति के अतिरिक्त आत्मा कुछ है ही नहीं। अनात्मावादी आजकल यूरोप में बहुत हैं। आत्मा के विषय में इनकी धारणा यह है कि यह प्रकृति के भिन्न-भिन्न वैकारिक अंशों के संयोग से उत्पन्न एक विशेष शक्ति है, जो प्राणियों में गर्भावस्था से उत्पन्न होती है और मरणोपर्यंंत रहती है। पीछे उन तत्वों के विश्लेषण से, जिनसे यह उत्पन्न हुई थी, नष्ट हो जाती है। बहुत दिन हुए भारतवर्ष में यहीं बात 'बृहस्पति' नामक विद्वान ने कही थी जिसके विचार चार्वाक दर्शन के नाम से प्रख्यात हैं और जिसके मत को चार्वाक मत कहते हैं। इनका कथन है कि 'तच्चैतन्य-' विशिष्टदेह एवं आत्मा देहातिरिक्त आत्मनि प्रमाणभावात्। देह के अतिरिक्त अन्यत्र आत्मा के होने का कोई प्रमाण नहीं हैं, अतः चैतन्यविशिष्ट देह ही आत्मा है। इस मुख्य मत के पीछे कई भेद हो गए थे और वे क्रमशः शरीर की स्थिति और ज्ञान की प्राप्ति में कारणभूत इंद्रिय, प्राण, मन, बुद्धि और अहंकार को ही आत्मा मानने लगे। कोई इसे विज्ञान मात्र अर्थात् क्षणिक मानते हैं। वैशेषिक दर्शन में आत्मा को एक द्रव्य माना है और लिखा है कि प्राण, अपान, निमेष, उन्मेष जीवन, मन, गति, इंद्रिय, अंतर्विकार जैसे- भूख, प्यास, ज्वर, पीड़ादि, सुख, दुःख इच्छा, द्वेष और प्रयत्न आत्मा के लिंग हैं। अर्थात् जहाँ प्राणादि लिंग वा चिह्न देख पड़े वहाँ आत्मा रहती है। पर न्यायकार गौतम मुनि के मत से 'इच्छा' द्वेष, प्रयत्न, सुख दुःख और ज्ञान (इच्छा-द्वेष-प्रयत्न-सुख,-दुःख-ज्ञानान्या- त्मनो लिङ्गम्) ही आत्मा के चिह्न हैं। सांख्यशास्त्र के अनुसार आत्मा एक अकर्ता साक्षीभूत प्रसंग और प्रकृति से भिन्न एक अतींद्रिय पदार्थ है। योगशास्त्र के अनुसार यह वह अतींद्रिय पदार्थ है जिसमें क्लेश, कर्मविपाक और आशय हो। ये दोनों (सांख्य और योग) आत्मा के स्थान पर पुरुष शब्द का प्रयोग करते हैं। मीमांसा के अनुसार कर्मों का कर्ता और फलों का भोक्ता एक स्वतंत्र अतींद्रिय पदार्थ है। पर मीमांसकों में प्रभाकर के मत से 'अज्ञान' और कुमारिल भट्ट के मत से 'अज्ञानोपहत चैतन्य' ही आत्मा है। वेदांत के मत से नित्य, शुद्ध, बुद्ध, मुक्त, स्वभाव ब्रह्म का अंशविशेष आत्मा है। बुद्वदेव के मत से एक अनिर्वचनीय पदार्थ, जिसकी आदि और अंत अवस्था का ज्ञान नहीं है, आत्मा है। उत्तरीय बौद्धों के मत से यह एक शून्य पदार्थ है। जैनियों के मत से कर्मों का कर्ता फलों का भोक्ता और अपने कर्म से मोक्ष और बंधन को प्राप्त होनेवाला, एक अरूपी पदार्थ है।

  • देह, शरीर
  • सूर्य
  • अग्नि
  • वायु
  • स्वभाव, धर्म
  • पुत्र

आत्मा के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

आत्मा से संबंधित मुहावरे

आत्मा के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • शरीर को जीवित रखने वाली और क्रियाशील बनाने वाली शक्ति, मन या अन्त:करण चैतन्य तत्व

आत्मा के ब्रज अर्थ

  • आत्मा
  • ब्रह्म
  • जीव

आत्मा के मैथिली अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • प्राणीक चेतन तत्त्व, स्व

Noun, Feminine

  • soul, self.

अन्य भारतीय भाषाओं में आत्मा के समान शब्द

उर्दू अर्थ :

रूह - روح

पंजाबी अर्थ :

आतमा - ਆਤਮਾ

सार - ਸਾਰ

गुजराती अर्थ :

आत्मा - આત્મા

जीव - જીવ

सारभूत - સારભૂત

तत्व - તત્વ

कोंकणी अर्थ :

आत्मा

सार

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