अगस्त्य

अगस्त्य के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

अगस्त्य के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक ऋषि का नाम जिनके पिता मित्रावरुण थे

    विशेष
    . ऋग्वेद में लिखा है कि मित्रावरुण ने उर्वशी को देखकर कामपीड़ित हो वीर्यपात किया जिससे अगस्त्य उत्पन्न हुए। सायणाचार्यं ने अपने भाष्य में लिखा है कि इनकी उत्पत्ति एक घड़े में हुई। इसी से इन्हें मैत्रावरुणि, और्वशेय, कुंभज घटोद्-भव और कुंभसंभव कहते हैं। पुराणों में इनके अगस्त्य नाम पड़ने की कथा यह लिखी है कि इन्होंने बढ़ते हुए विंध्य पर्वत को लिटा दिया। अतः इनका एक नाम विंध्यकूट भी है। पुराणों के अनुसार इन्होंने समुद्र को चुल्लू में भरकर पी लिया था जिससे ये समुद्रचुलुक और पीताब्धि भी कहलाते है। कही कहीं पुराणों में इन्हे पुलस्य का पुत्र भी लिखा है। ऋग्वेद में इनकी अनेक ऋचाएँ है।

    उदाहरण
    . एक कथा के अनुसार एकबार अगस्त्य जी समुद्र को पी गए थे।

  • एक तारे या नक्षत्र का नाम

    विशेष
    . यह भादों में सिंह के सूर्य के १७ अंश पर उदय होता है। इसका रंग कुछ पीलापन लिए हुए सफ़ेद होता है। इसका उदय दक्षिण की ओर होता है इससे बहुत उत्तर के निवासियों को यह नहीं दिखाई देता। आकाश के स्थिर तारों में लुब्धक को छोड़कर दूसरा कोई तारा इसकी तरह नहीं चमचमाता। यह लुब्धक से ३५ डिग्री दक्षिण है।

    उदाहरण
    . अगस्त्य भाद्र मास में सिंह के सूर्य से सत्रहवें अंश पर उदय होता है।

  • एक प्रसिद्ध पेड़

    विशेष
    . यह पेड़ ऊँचा और घेरेदार होता है। इसकी पत्तियाँ सिरिस के समान होती हैं। इसके टेढ़े मेढ़े फूल अर्धचंद्राकार, लाल और सफ़ेद होते हैं। इसके छिलके का काढ़ा शीतला और ज्वर में दिया जाता है। पत्तियाँ इसकी रेचक हैं। पत्ती और फूल के रस की नास लेने से विनाश फूटना, सिर दर्द और ज्वर अच्छा होता है। आँखों में फूल का रस डालने से ज्योति बढ़ति है। इसके फूलों की तरकारी और अचार भी बनाता है।

  • शिव का एक नाम

अगस्त्य के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक सुप्रसिद्ध वैदिक ऋषि कहते हैं उन्होंने समुद्र सोख लिया था

Noun, Masculine

  • a renowned Vedic sage who had soaked the sea.

अगस्त्य के ब्रज अर्थ

  • एक ऋषि जो मित्र-वरुण के पुत्र थे, इन्हें कुम्भज, मैत्रावरुण आदि नामों से पुकारते हैं , विन्ध्य पर्वत की गतिविधि रोकना, समुद्र का आचमन कर जाना आदि इनके सम्बन्ध में कथाएँ प्रचलित हैं
  • तारा विशेष
  • एक वृक्ष दे अगस्तिया

विशेषण, पुल्लिंग

  • अगस्त

    उदाहरण
    . राजा इंद्रद्युम्न कियौ ध्यान। आए अगस्त्य नहीं तिन जान।

  • न पकड़ने योग्य, जो पकड़ा न जा सके

    उदाहरण
    . अति कृपालु आतुर अबलनि कों। व्यापक अगह गहायो।

  • चंचल

    उदाहरण
    . माधौ, नैकु हटको गाइ। भ्रमत निसि-बासर, अपथ-पथ, अगह गहि नहि जाइ।

  • जो वर्णन और चिंतन से परे हो

    उदाहरण
    . जुक्ति जतन करि जोग अगह गहि, अपथ पंथ लौ लायौ।

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