agni meaning in hindi
अग्नि के हिंदी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- जलती हुई लकड़ी, कोयला या इसी प्रकार की और कोई वस्तु या उस वस्तु के जलने पर अंगारे या लपट के रूप में दिखाई देने वाला प्रकाशयुक्त ताप
-
आग
उदाहरण
. जल नहिँ बूड़त अगिनि न दाहत है ऐसो हरिनाम। - आग , तेज का गोचर रूप , उष्णता , पृथ्वी, जल, वायु, आकाश आदि पंचभूतों या पंचतत्वों में से एक
-
वैद्यक के मत से तीन प्रकार की अग्नि
विशेष
. आयुर्वेद में अग्नि के तीन प्रकार माने गए है । यथा—(क) भौम, जो तृष्ण, काष्ठ आदि के जलने से उप्नन्न होती है । (ख) दिव्य, जो आकाश में बिजली से उत्पन्न होती है । (ग) उदर या जठर, जो पित्त रूप से नाभि के ऊपर और हृदय के नीचे रहकर भोजन भस्म करती है । इसी प्रकार कर्मकांड में भी अग्नि तीन प्रकार की मानी गई है । यथा— गार्हपत्य, आहवनीय, दक्षिणाग्नि । स्भ्याग्नि, आवसथ्य और औपासनाग्नि—इन तीन को मिलाकर उनके छह भेद है जिनमें प्रथम तीन प्रधान है । ३ -
वेद के प्रधान देवताऔं में से एक
विशेष
. ऋगवेद का प्रादुर्भाव इसी से माना जाता है । वेद में अग्नि के मंत्र बहुत आधिक है । अग्नि की सात जिह्वाएँ मानी गई है जिनके अलग अलग नाम है, जैसे—काली, कराली, मनोजवा, सुलोहिता, धूम्रवर्णा, उग्रा और प्रदीप्ता । भिन्न भिन्न ग्रंथों में य नाम भिन्न भिन्न दिए है । यह देवता दक्षिण पूर्व कोण का स्वामी है और आठ लोकपालों में से एक है । पुराणों में इसे वसु से उत्पन्न धर्म का पुत्र कहा है । इसकी स्त्री स्वाहा थी जिससे पावक, पवमान और शुचि ये तीन पुत्र उत्पन्न हुए । इन तीनों पुत्रों के भी पैतालीस पुत्र हुए । इस प्रकार सब मिलाकर ४९ अग्नि माने गए है जिनका विवरण वायुपुराण में विस्तार के साथ दिया है । - जठराग्नि , पाटन शक्ति , जैसे—'अग्नि तो मंद हो गई है , भूख कहाँ से लगे (शब्द॰)
- पित्त
- तीन की संख्या क्योंकि कर्मकांड़ के अनुसार तीन अग्नि मुख्य है
- सोना
- चित्रक, चीता
- भिलावा
- नीबू
- अग्निकर्म
- 'र्' का गूढ प्रतीक
- प्रकाश (को॰)
- जलती हुई लकड़ी, कोयला या इसी प्रकार की और कोई वस्तु या उस वस्तु के जलने पर अंगारे या लपट के रूप में दिखाई देने वाला प्रकाशयुक्त ताप
- हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित एक देवता जो आग के अधिपति माने जाते हैं
- एक जंगली वृक्ष का फल जो विषैला होता है
- पेट के अन्न को पचाने वाली गरमी
- हठयोग के अनुसार शरीर की तीन प्रमुख नाड़ियों में से एक जिसका स्थान वैद्यक में नाभि के मध्य माना जाता है
- एक जंगली वृक्ष जिसके फल विषैले होते हैं
- वह समय जब चंद्रमा कृत्तिका नक्षत्र में होता है
- सत्ताईस नक्षत्रों में से तीसरा
- औषधि के रूप में काम आने वाला एक पेड़
- दक्षिण-पूर्व का कोण या उपदिशा
- एक छोटा पेड़ जिसके गोल फल खट्टे होते हैं
- मन में उत्पन्न होनेवाला विकार
- एक गोल खट्टा, रसदार फल
- एक बहुमूल्य पीली धातु जिसके गहने आदि बनते हैं
- अग्निकर्म; शव आदि जलाने की क्रिया
- विशेष-कर्मकांड में गार्हपत्य, आहवनीय, दक्षिणाग्नि, सम्याग्नि, आवसध्य और औपसनाग्नि छः प्रकार की अग्नियां मानी गई हैं।
- पंच-तत्त्वों में से तेज नामक तत्त्व का वह गोचर या दृश्य रूप, जो सब चीजों को जलाता और ताप तथा प्रकाश उत्पन्न करता है। आग। (फायर) विशेष-(क) संसार के अनेक धर्मों में और विशेषतः वैदिक धर्म में इसे देवता और उपास्य माना गया है। यूनान और रोम में इसकी पूजा राष्ट्र की देवी के रूप में होती थी। (ख) कर्मकांड में गार्ह-पत्य, आहवनीय, दक्षिणाग्नि, सम्याग्नि, आवसथ और औपसनाग्नि छ : प्रकार की अग्नियां मानी गई हैं।
- शरीर का वह ताप, जिससे शरीर के अंदर पाचन आदि क्रियाएँ होती हैं, जठराग्नि, वैद्यक में इनके तीन भेद हैं-भौम, दिव्य और जठर
- उष्णता; गरमी
अग्नि के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएअग्नि के यौगिक शब्द
संपूर्ण देखिएअग्नि के अँग्रेज़ी अर्थ
Noun, Feminine
- fire
- the god of fire
- appetite
- digestive faculty
अग्नि के अवधी अर्थ
अगिनि, अगनि
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- आग, प्रायः साधुओं द्वारा या शपथ खाने के लिए प्रयुक्त; दूसरे अर्थ में " माता" या अगिनि "देवता" कहते हैं
- आग
अग्नि के गढ़वाली अर्थ
अगनि, अगनी, अगिन
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- अग्नि, आग, जलन, ताप, गर्मी, ईर्ष्या; अग्निदेव
Noun, Feminine
- fire, a burning sensation, heat; the god of fire.
अग्नि के ब्रज अर्थ
अगनि, अगिन, अगनी, अगिनी
स्त्रीलिंग
-
आग ,
उदाहरण
. अग्नि धनंजय कहत कवि, पवन धनंजयआहि। - पंचमहाभूतों में से तेज तत्व
- प्रकाश; उष्णता , गरमी
- जठराग्नि ; पित्त
-
आग , अग्नि
उदाहरण
. अगनि तें अनगन दीपक बरै । बहुरि आनि सब तिन मैं ररें।
अग्नि के मैथिली अर्थ
संज्ञा
- आगिक देवता
- आगि
Noun
- firegod.
- fire.
अग्नि के मालवी अर्थ
अगनी
संज्ञा, पुल्लिंग
- आगी, आग
अग्नि के तुकांत शब्द
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