अजीर्ण

अजीर्ण के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

अजीर्ण के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह रोग जिसमें भोजन नहीं पचता, अपच , अध्यसन , बदहज़मी

    विशेष
    . विष्टब्धाजीर्ण = जिसमें अन्न के गोटे या कंडे बँधकर पेट में पीड़ा उत्पन्न करते हैं । (४) . प्रायः पेट में पित्त के बिगड़ने से यह रोग होना है जिससे भोजन नहीं पचता और वमन, दस्त शूल आदि उपद्रव होते हैं । आयुर्वेद में इसके छह भेद बतलाए हैं: —(१) आमा- जीर्ण = जिसमें खाया हुआ अन्न कच्चा गिरे । (२) विदग्धा जीर्ण = जिसमें अन्न जल जाता है । (३) . रसशेषाजीर्ण = जिसमें अन्न पानी की तरह पतला होकर गिरता है । (५) . दिनपाकी अजीर्ण = जिसमें खाया हुआ अन्न दिन भर पेट में बना रहता है और भूख नहीं लगती । (६) प्रकृत्याजीर्ण या सामान्य अजीर्ण । २

  • किसी वस्तु का इतना अधिक हो जाना कि वह सँभाली न जा सके, अत्यंत अधिकता , बहुतायत (व्यंग्य) , जैसे—'उसे बुद्धि का अजीर्ण हो गया है , ' —(शब्द॰)
  • शक्ति , ताकत , ४, जीर्ण न होने का भाव , क्षयाभाव

विशेषण

  • जो जीर्ण या पुराना न हो, फलतः जो नया या अच्छी हालत में हो, अक्षुण्ण

अजीर्ण के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

अजीर्ण के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • indigestion (caused by overeating)

अजीर्ण के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • अपच

Noun

  • indigestion.

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