amit meaning in braj
अमित के ब्रज अर्थ
विशेषण
- जिसका परिमाण न हो, असीम , बेहद
- बहुत अधिक
-
जो किन्हीं निश्चित सीमाओं में न रखा गया हो
उदाहरण
. अमित सुहाग-राग, फाग दरस्यौ करे ।
अमित के हिंदी अर्थ
विशेषण
- जिसका परिमाण न हो , अपरिमित , बेहद , असीम
- बहुत , अधिक
- तिरस्कृत , उपेक्षित (को॰)
- अज्ञात , अनजाना (को॰)
- असंस्कृत , संस्कारहीन (को॰)
-
केशव के अनुसार वह अर्थालंकर जिसमें साधन ही साधक की सिद्धि का फल भोगे , जैसे— 'दूती नायक के पास नायिका का सँदेसा लेकर जाय, परंतु स्वयं उससे प्रीति कर ले '
उदाहरण
. आनन सीकर सीक कहा ? हिय तौ हित ते अति आतुर आई । फीको भयो मुख ही मुख राग क्यों ? तेरे पिया बहु बार बकाई । प्रीतम को पट क्यों पलटयो? अलि केवल तेरी प्रतीति को ल्याई । केशव नीके ही नायक सों रमि नायिका बातन ही बहराई । - जिसकी सीमा न हो
- अत्यधिक
- बेहद; बेहिसाब; अपरिमित
- जो मापा न जा सके
- असंस्कृत
- उपेक्षित
- अज्ञात
- जिसका मित या परिमाण न हो, असीम, बेहद
- बहुत अधिक
संज्ञा
-
केशव के अनुसार एक अर्थालंकार
उदाहरण
. अमित में साधन ही साधक की सिद्धि का फल भोगता है ।
अमित के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएअमित के कन्नौजी अर्थ
विशेषण
- बेहद, बे हिसाब, अत्यधिक
अमित के मैथिली अर्थ
विशेषण, आलंकारिक
- असीम, अपार
Adjective, Classical
- immeasurable, unlimited.
अमित के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिए
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