asa.ngati meaning in braj

असंगति

असंगति के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

असंगति के ब्रज अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • अनुपयुक्तता
  • असमानता
  • अप्रासंगिकता

संज्ञा, पुल्लिंग

  • काव्य में एक अलंकार विशेष जिसमें कारण कहीं कहा जाए और कार्य कहीं दिखाया जाए

    उदाहरण
    . तहाँ असंगति कहत हैं कबि रस बुद्धि समोय।

असंगति के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • असंगत होने की अवस्था या भाव, संगति का न होना

    उदाहरण
    . कार्य के दौरान आने वाली असंगतियों को दूर करके कार्य में तेज़ी लाई जा सकती है।

  • असंबंध, बेसिलसिलापन

    उदाहरण
    . इस नाटक में असंगतियाँ इस तरह हैं कि पात्रों के संवादों के बीच तारत्मय ही नहीं दिखाई देता।

  • उचित या उपयुक्त न होने की अवस्था, अनुपयुक्तता, नामुनासिबत
  • साहित्य में एक अलंकार जिसमें कार्य और कारण का ऐसे विलक्षण रूप से उल्लेख होता है कि दोनों में संगति नहीं बैठती; अर्थात् कारण एक जगह का या एक प्रकार का होता है और कार्य किसी दूसरी जगह का या दूसरे प्रकार का बताया जाता है

    विशेष
    . कुवलयानंद में और दो प्रकार से असंगति का होना मान गया है। एक तो एक स्थान पर होने वाले—कार्य के दूसरे स्थान पर होने से, जैसे—'तेरे अँग की अंगना, तिलक लगायो पानि'। दूसरे, किसी के उस कार्य के विरुद्ध कार्य करने से जिसके लिए वह उद्दत हुआ हो; जैसे—'मोह मिटावन हेतु प्रभु, लीन्हो तुम अवतार। उलटो मोहन रूप धरि, मोहयो सब ब्रजनार'।

    उदाहरण
    . 'हरत कुसुम छबि कामिनी, निज अंगन सुकुमान। मार करत यह कुसुमसर, युवकन कहा विचार।' यहाँ फूलों की शोभा हरण करने का दोष स्त्रियों ने किया; उसका दंड उनको न देकर कामदेव ने युवा पुरुषों को दिया।

असंगति के तुकांत शब्द

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