बकरा

बकरा के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

बकरा के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रसिद्ध पालतू चौपाया

बकरा के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • a he-goat

बकरा के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रसिद्ध छोटा नर चौपाया जिसके सींग तिकोने होते हैं और पूँछ छोटी होती है, एक प्रसिद्ध चतुष्पाद पशु, छाग

    विशेष
    . इस पशु के सींग तिकोने, गठीले और ऐंठनदार तथा पीठ की ओर झुके हुए होते हैं, पूँछ छोटी होती है, शरीर से एक प्रकार की गंध आती है और खुर फटे होते हैं। यह जुगाली करके खाता है। कुछ बकरों को ठोड़ी के नीचे लबी दाढ़ी भी होती है और कुछ जातियों के बकरे बिना सींग के भी होते हैं। कुछ बकरों के गले में नीचे या दोनों ओर स्तन की भाँति चार-चार अंगुल लंबी और पतली थैली होती है जिसे गलस्तन या गलथन कहते हैं। बकरों की अनेक जातियाँ होती हैं। कोई छोटी, कोई बड़ी, कोई जंगली, कोई पालतू, किसी के बाल छोटे और किसी के लंबे और बड़े होते हैं। आर्य जाति को बकरों का ज्ञान बहुत प्राचीन काल से है। वेदों में 'अज' शब्द गो के साथ ही साथ कई जगह आया है। बकरे की चर्बी से देवाताओं को आहुति देने का विधान अनेक स्थलों में हैं। वैदिक काल से लेकर स्मृति काल तक और प्रायः आज तक अनेक स्थानों में, भारतवर्ष में, यह प्रथा थी कि जब किसी के यहाँ कोई प्रतिष्ठित अतिथि आता था तो उसके सत्कार के लिए गृहपति बड़े बकरे को मारकर उसके मांस से अतिथि का आतिथ्य सत्कार करता था। बकरे के मांस, दूध और यहाँ तक कि बकरे के संग रहने को भी वैद्यक में यक्ष्मा रोग का नाशक माना है। बकरी का दूध मीठा और सुपाच्य तथा लाभदायक होता है पर उसमें से एक प्रकार की गंध आती है जिससे लोग उसके पीने में हिचकते हैं। वेदों में 'आज्य' शब्द घी के लिए आता है जिससे जान पड़ता है, आर्यों, ने पहले-पहले बकरी के दूध से ही घी निकालना प्रारंभ किया था। यद्यपि सब जाति की बकरियाँ दुधार नहीं होती, फिर भी कितनी ऐसी जातियाँ भी हैं। जो एक सेर से पाँच सेर तक दूध हैं। बकरियों के अयन में दो थन होते हैं और वे छह महीने में एक से चार तक बच्चे जनती है। बच्चों के मुँह में पहले चोभर को छोड़कर नीचे के दाँत नहीं होते पर छठे महीने दाँत निकल आते हैं। ये दाँत प्रतिवर्ष दो-दो करके टूट जाते हैं। उनके स्थान पर नए दाँत जमते जाते हैं और पाँचवे वर्ष सब दाँत बराबर हो जाते हैं। यही अवस्था बकरे की मध्य आयु की है। बकरों की आयु प्रायः 13 वर्ष की होती है, पर कभी-कभी वे इससे अधिक भी जीते हैं। इनके खुर छोटे और कड़े होते हैं और बीहड़ स्थानों में, जहाँ दूसरे पशु आदि नहीं जा सकते, बकरा अपना पैर जमाता हुआ मज़े में चला जाता है। हिमालय में तिब्बती बकरियों पर ही लोग माल लादकर सुख से तिब्बत से भारत की तराई में लाते और यहाँ से तिब्बत ले जाते हैं। अगूरा, कश्मीरी आदि जाति की बकरियों के बाल लंबे, अत्यंत कोमल और बहुमुल्य होते हैं और उनसे पश्मीने, शाल, दुशाले आदि बनाए जाते हैं। बकरा बहुत ग़रीब पशु होता है और कड़वे, मीठे, कटीले सब प्रकार के पेड़ों की पत्तियों खाता है। यह भेड़ की भाँति डरपोक और निर्बुद्धि नहीं होता बल्कि साहसी और चालाक होता है। बधिया करने पर बकरे बहुत बढ़ते और हृष्टपुष्ट होते हैं। उनका मांस भी अधिक अच्छा होता है।

    उदाहरण
    . उसने एक बकरा व दो बकरियाँ पाल रखी हैं। . बकरी खीती घास है ताकी काढ़ी खाल। जो नर बकरी खात है तिनको कवल हवाल।

बकरा से संबंधित मुहावरे

बकरा के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • छोटी जाति का चौपाया, पाठा, वह पाठा जिसे दाढ़ी हो गया हो

बकरा के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • छिरिया

बकरा के ब्रज अर्थ

बकुरा

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पशु विशेष, अज

बकरा के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • अज

Noun

  • billy goat.

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