भागवत

भागवत के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

भागवत के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • अठारह पुराणों में से सर्वप्रसिद्ध एक पुराण जिसमें 12 स्कंध, 312 अध्याय और 18000 श्लोक हैं, श्रीमद्भागवत

    विशेष
    . इसमें अधिकांश कृष्ण संबंधी प्रेम और भक्ति रस की कथाएँ हैं और यह वेदांत का तिलकस्वरूप माना जाता है। वेदांत शास्त्र में ब्रह्म के संबंध में जिन गूढ़ बातों का उल्लेख हैं, उनमें से बहुतों की इसमें सरल व्याख्या मिलती है। साधारणतः हिंदुओं में इस ग्रंथ का अन्यान्य पुराणों की अपेक्षा विशेष आदर है और वैष्णवों के लिए तो यह प्रधान धर्मग्रंथ है। वे इसे महापुराण मानते हैं। पर शाक्त लोग देवीभागवत को ही भागवत कहते और महापुराण मानते हैं और इसे उपपुराण कहते हैं।

  • देवीभागवत
  • भगवदभक्त, हरिभक्त, ईश्वर का भक्त
  • 13 मात्राओं के एक छंद का नाम

विशेषण

  • भागवत संबंधी

भागवत के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • अठारह पुराणों में से एक जिसमें मुख्यतः कृष्ण की कथा वर्णित है

भागवत के ब्रज अर्थ

भागवत'

पुल्लिंग

  • अष्टदश पुराणांतर्गत एक पुराण , जब अनेक ग्रंथों की रचना करने पर श्री वेदव्यासजी को मानसिक शांति नहीं हुई तब उन्होंने इस अनुपम ग्रंथ को रचना की , इसमें बारह स्कंध, तीन सौ बारह अध्याय और अठारह सहस्र स्कंध है, इसकी शैली दुरूह होते हुए भी मनोहर है इसके बारे

पुल्लिंग

  • वैष्णव भक्त

    उदाहरण
    . ३०-पर भागवत रतन रसिक जु परीछित राजा ।

भागवत के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • भागवतपुराण, हरि का भक्त, ईश्वर का कीर्तन करने वाला।

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