चकोर

चकोर के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

चकोर के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • एक पक्षी जे काव्य चन्द्रकिरणजीवी, चन्द्रमाक प्रेमी, आओर अङ्गारभदी मानल जाइत अछि

Noun

  • Indian partridge; Perila u ripposed to live on moon beams.)

चकोर के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • the Indian red-legged partridge (fabled to subsist upon moon-beams and to eat embers)
  • hence चकोरी (nf)

चकोर के हिंदी अर्थ

चक्कोर

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रकार का बड़ा पहाड़ी तीतर जो नैपाल, नैनीताल आदिस्थानों तथा पंजाब और अफगानिस्तान के पहाड़ी जंगलों में बहुत मिलता है

    विशेष
    . इसके ऊपर का एक रंग काला होता है, जिसपर सफेद सफेद चित्तियाँ होती हैं । पेट का रंग कुछ सफेदी लिए होता है । चोंच और आँखें इसकी बहुत लाल होती हैं । यह पक्षी झुंड़ों में रहता है और बैसाख जेठ में बारह बारह अंडे देता है । भारतवर्ष में बहुत काल से प्रसिद्ध है कि यह चंद्रमा का बड़ा भारी प्रेमी है और उसकी ओर एकटक देखा करता है; यहाँ तक कि यह आग की चिनगारियों को चंद्रमा की किरनें समझकर खा जाता है । कवि लोगों ने इस प्रेम का उल्लेख अपनी उक्तियों में बराबर किया है । लोग इसे पिंजरे में पालते भी हैं ।

    उदाहरण
    . चल्यो सु वारिधि नंद। चक्कोर आनंदकंद। धनपत्ति दीन पठाय। लिय परिसमणि सुखपाय। . नयन रात निसि मारग जागे । चख चकोर जानहुँ ससि लागे ।

  • एक वर्णवृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में सात भगण, एक गुरु और एक लघु होता है , यह यथार्थ में एक प्रकार का सवैया है , जैसे,—भासत ग्वाल सखीगन में हरि राजत तारन में जिमि चंद
  • एक प्रकार का बड़ा पहाड़ी तीतर जो चन्द्रमा का प्रेमी और अंगार खाने वाला माना जाता है

    उदाहरण
    . चकोर चंद्रमा की ओर ताकता रहता है ।

  • तीतर जाति का एक पक्षी जिसे काव्य में चंद्रमा का प्रेमी माना गया है; बटेर; चकोरक
  • सवैया छंद का एक प्रकार
  • एक प्रकार का बड़ा तीतर जो नैपाल, पंजाब और अफगानिस्तान के पहाडी जंगलों में बहत मिलता है
  • एक प्रकार का वर्णवत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः सात भगण, एक गुरु और अंत में एक लघु होता है, यह एक प्रकार का सवैया है

चकोर के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

चकोर के अंगिका अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • तीतर, पहाड़ पर रहने वाला तीतर
  • तीतर

चकोर के अवधी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • प्रसिद्ध पक्षी

चकोर के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रसिद्ध पक्षी

चकोर के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • तीतर की जाति का एक पक्षी जो चन्द्रमा का परम प्रेमी माना जाता है

चकोर के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक पक्षी का नाम

Noun, Masculine

  • Indian Red legged partridge. Perdix rufa.

चकोर के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • तीतर की जाति का एक पहाड़ी पक्षी ; एक वर्णवृत्त

चकोर के मगही अर्थ

संज्ञा

  • इस नाम से प्रसिद्ध एक जंगली तीतर का नर पक्षी जिसके बारे में चंद्रमा का प्रेमी होना तथा आग निगलने की कवि सिद्धि प्रचलित है

चकोर के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रकार का तीतर पक्षी, जो चन्द्रमा का प्रेमी होता है। वह अंगार खानेवाला माना जाता है।

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