chakvaa meaning in malvi
चकवा के मालवी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- चक्रवाक, सुरखाब पक्षी।
चकवा के अँग्रेज़ी अर्थ
Noun, Masculine
- a ruddy goose
चकवा के हिंदी अर्थ
चक्कवा
संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग
-
एक पक्षी जो जाड़े में नदियों और बड़े जलाशयों के किनारे दिखाई देता है और बैसाख तक रहता है
विशेष
. अधिक गरमी पड़ते ही यह भारतवर्ष से चला जाता है । यह दक्षिण को छोड़ और सारे भारतवर्ष में पाया जाता है । यह पक्षी प्रायः झुंड में रहता है । यह हंस की जाति का पक्षी है । इसकी लंबाई हाथ भर तक होती है । इसके शरीर पर कई भिन्न भिन्न रंगों का मेल दिखाई देता है । पीठ और छाती का रंग पीला तथा पीछे की ओर का खैरा होता है । किसी के बीच बीच में काली और लाल धारियाँ भी होती हैं । पूँछ का रंग कुछ हरापन लिए होता है । कहीं कहीं इन रंगों में भेद होता है । डैनों पर कई रंगों का गहरा मेल दिखाई देता है । यह अपने जोड़े से बहुत प्रेम रखता है । बहुत काल से इस देश में ऐसा प्रसिद्ध है कि रात्रि के समय यह अपने जोड़े से अलग रहता है । कवियों ने इसके रात्रिकाल के इस वियोग पर अनेक उक्तियाँ बाँधी है । इस पक्षी को सुरखाब भी कहते हैं ।उदाहरण
. चकवा चकई दो जने, इन मत मारो कोय । ये मारे करतार के, रैन बिछोहा होय (शब्द॰) । - काव्य में प्रेम के प्रतिमान के रूप में प्रसिद्ध एक जलपक्षी; चक्रवाक; सुरख़ाब
- हाथ से कुछ बढ़ाई हुई आटे ��ी लोई
-
एक जलपक्षी जिसके विषय में प्रसिद्ध है कि वह रात को अपने जोड़े से दूर हो जाता है
उदाहरण
. चकवा और चकई रात को एक साथ नहीं रहते । - ० = चकवा
- जुलाहों की चरखी तथा नटाई में लगी हुई बाँस की छड़ी
- एक प्रसिद्ध जल-पक्षी जिसके संबंध में यह कहा जाता है कि यह रात को अपने जोड़े से अलग हो जाता है, सुरखाब
- रहस्य संप्रदाय में, मन, , पुं० [सं० चक्र] १. एक प्रकार का ऊँचा पेड़ जिसके हीर की लकड़ी बहुत मजबूत और छाल कुछ स्याही लिये सफेद वा भूरी होती है, इसके पत्ते चमड़ा सिझाने के काम में आते हैं; जुलाहों की चरखी में लगी हुई बाँस की छड़ी
देशज ; संज्ञा, पुल्लिंग
-
एक बहुत ऊँचा पेड़ जो मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत तथा चटगाँव की ओर बहुत मिलता है
विशेष
. इसके हीर की लकड़ी बहुत मजबुत और छाल कुछ स्याही लिए सफेद या भूरी होती है । इसके पत्ते चमड़ा सिझाने के काम में आते हैं ।
चकवा के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएचकवा के यौगिक शब्द
संपूर्ण देखिएचकवा के अंगिका अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- चक्रवाक पक्षी
चकवा के अवधी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- पक्षी-विशेष
चकवा के कन्नौजी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- एक पक्षी जिसके विषय में कवि सत्य के अनुसार यह कहा जात है कि इसका रात्रि में चकवी से विछोह हो जाता है
चकवा के बुंदेली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- चक्रवाक पक्षी का नर
चकवा के ब्रज अर्थ
चक्कवा
पुल्लिंग
- एक प्रसिद्ध जल पक्षी , सुरखाब
- जुलाहों की चरखी में लगी हुई बाँस की छड़ी; हाथ से दबाकर बढ़ाई हुई आटे की लोई
अकर्मक क्रिया, अकर्मक
-
चकित होना
उदाहरण
. चित्त चारु चकवानो सो ।
चकवा के मैथिली अर्थ
संज्ञा
- एक पक्षी जकर उपमा स्तनसँ दल जाइत अछि, (मानल जाइत अछि जे ई रातिमे प्रेमीसँ वियुक्त भए जाइत अछि)
Noun
- sheldrake, Casarca rutila. (which as is believed cannot meet its mate during night.)
चकवा के तुकांत शब्द
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