chancharii meaning in braj
चंचरि के ब्रज अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
-
एक नृत्य, चाँचरि
उदाहरण
. चंचरि चुहि किंकिनि झनकार।
चंचरि के हिंदी अर्थ
चंचरी
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- भ्रमरी, भँवरी, भौंरी
- होली में गाने का एक गीत, चाँचरि
-
हरिप्रिया छंद जिसे भिखारीदा अपने पिंगल में 'चंचरी' कहते हैं
विशेष
. इसके प्रत्येक पद में 12 + 12 + 12२ + 10 के विराम से 6 मात्राएँ होती हैं, अंत में एक गुरु होता है, जैसे—सुरज गुन दिसि सजाय, अंतै गुरु चरण ध्याय, चित्त दै हरि प्रियहिं, कृष्ण कृष्ण गावो। -
एक वर्णवृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में र स ज ज भ र () होते हैं, इसे 'चंचरा', 'चंचली' और 'विवुधप्रिया' भी कहते हैं
उदाहरण
. री सजै जु भरी हरी नित वाणि तू, औ सदा लहमान संत समाज में जग माँहि तू, भूलि के जु बिसारि रामहिं आन को गुण गाइहै, चंपकै सम ना हरी जन चंचरी मन भाइहै। - एक मांत्रिक छंद जिसके प्रत्येक पद में 26 मात्राएँ होती हैं
संज्ञा, पुल्लिंग
- भौंरा
- वह जुआ जो इमली के चींओं से खेला जाए
चंचरि के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएचंचरी के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिए
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