चंद्रमा

चंद्रमा के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

चंद्रमा के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • आकाश में चमकने वाला एक उपग्रह जो महीने में एक बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा करता है और सूर्य से प्रकाश पाकर चमकता है

    विशेष
    . यह उपग्रह पृथ्वी के सब से निकट है अर्थात् यह पृथ्वी से २३८८०० मील की दूरी पर है। इसका व्यास २१६२ मील है और इसका परिमाण पृथ्वी का ४ १/९ है। इसका गुरुत्व पृथ्वी के गुरुत्व का ८ १/० वाँ भाग है। इसे पृथ्वी के चारों ओर घूसने में २७ दिन, ७ घंटे, ४३ मिनट और ११ १/२ सेकेंड लगते हैं, पर व्यवहार में जो महीना आता है, वह २९ दिन, १२ घंटे, ४४ मिनट २ ७ सेकेंड का होता है। चंद्रमा के परिक्रमण की गति में सूर्य की क्रिया से बहुत कुछ अंतर पड़ता रहता है। चंद्रमा अपने अक्ष पर महीने में एक बार के हिसाब से घूमता है; इससे सदा प्राय: उसका एक ही पार्श्व पृथ्वी की ओर रहता है। इसी विलक्षणता को देखकर कुछ लोगों को यह भ्रम हुआ था कि यह अक्ष पर घूमता ही नहीं है। चंद्रमंडल में बहुत से धब्बे दिखाई देते हैं जिन्हें पुराणानुसार जनसाधारण कलंक आदि कहते हैं। पर एक अच्छी दूरबीन के द्वारा देखने से ये धब्बे ग़ायब हो जाते हैं और इनके स्थान पर पर्वत, घाटी, गर्त्त, ज्वालामुखी पर्वतों से विवर आदि अनेक पदार्थ दिखाई पड़ते हैं। चंद्रमा का अधिकांश तल पृथ्वी के ज्वालामुखी पर्वतों से पूर्ण किसी प्रदेश का सा है। चंद्रमा में वायुमंडल नहीं जान पड़ता और न बादल या जल ही के कोई चिह्न दिखाई पड़ते हैं। चंद्रमा में गर्मी बहुत थोड़ी दिखाई पड़ती है। प्राचीन भारतीय ज्योतिषियों के मत से भी चंद्रमा एक ग्रह है, जो सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। भास्कराचार्य के मत से चंद्रमा जलमय है। उसमें निज का कोई तेज़ नहीं है। उसका जितना भाग सूर्य के सामने पड़ता है, उतना दिखाई पडता है। ठीक उसी प्रकार, जिस प्रकार धूप में घड़ा रखने से उसका एक पार्श्व चमकता है और दूसरा पार्श्व उसी की छाया से अप्रकाशित रहता है। जिस दिन चंद्रमा के नीचे के भाग पर अर्थात् उस भाग पर जो हम लोगों की ओर रहता है, सूर्य का प्रकाश बिलकुल नहीं पड़ता, उस दिन अमावस्या होती है। ऐसा तभी होता है, जब सूर्य और चंद्र एक राशिस्थ अर्थात् समसूत्र में होते हैं। चंद्रमा बहुत शीघ्र सूर्य की सीध मे पूर्व की ओर हट जाता हैं और उसकी एक एक कला क्रमश: प्रकाशित होने लगती है। चंद्रमा सूर्य की सीध (समसूत्र पात) से जितना ही अधिक हट जाएगा, उसका उतना ही अधिक भाग प्रकाशित होता जाएगा। द्वितीया के दिन चंद्रमा के पश्चिमांश पर सूर्य का जितना प्रकाश पड़ता है, उतना भाग प्रकाशित दिखाई पडता है। सूर्य सिद्धांत के मतानुसार जब चंद्रमा सूर्य की सीध से ६ राशि पर चला जाता है तब उसका समग्र आधा भाग प्रकाशित हो जाता है और हमें पूर्णिमा का पूरा चंद्रमा दिखाई पड़ता हैं। पूर्णिमा के अनंतर ज्यों ज्यों चंद्रमा बढ़ता जाता हैं, त्यों त्यो सूर्य की सीध से उसका अंतर कम होता जाता है अर्थात् वह सूर्य की सीध की ओर आता जाता है और प्रकाशित भाग क्रमश: अंधकार में पड़ता जाता है। अनुपात के मतानुसार प्राकाशित और अप्रकाशित भागों के इस ह्वास और वृद्धि का हिसाब जाना जा सकता है, यही मत आर्यभट्ट, श्रीपति, ज्ञानराज लल्ल, ब्रह्मपुत्र, आदि सभी पुराने ज्योतिषियों का है, चंद्रमा में जो धब्बे दिखाई पड़ते हैं, उनके विषय में सूर्यसिद्धांत, सिद्धांतशिरोमणि, बृहत्संहिता इत्यादि में कुछ नहीं लिखा है, हरिवंश में लिखा हैं कि ये धब्बे पृथ्वी की छाया हैं, कवि लोगों ने चकोर और कुमुद को चंद्रमा पर अनुरक्त वर्णन किया हैं, पुराणानुसार चंद्रमा समुद्रमंथन के समय निकले हुए चोदह रत्नों में से है और देवताओं में गिना जाता है, जब एक असुर देवताओं की पंक्ति में चुपचाप बैठकर अमुत पी गया, तब चंद्रमा ने यह वृत्तांत विष्णु से कह दिया, विष्णु ने उस असुर के दो खंड कर दिए जो राहु और केतु हुए, उसी पुराने वैर के कारण राहु ग्रहण के समय चंद्रमा को ग्रसा करता हैं, चंद्रमा के धब्बे के विषय में भी भिन्न-भिन्न कथाएँ प्रसिद्ध हैं, कुछ लोग कहते हैं कि दक्ष प्रजापति के शाप से चंद्रमा को राजपक्ष्मा रोग हुआ; उसी की शांति के लिये वे अपनी गोद में एक हिरन लिए रहते हैं किसी किसी के मत से चंद्रमा ने अपनी गुरुपत्नी के साथ गमन किया था; इसी कारण शापवश उनके शरिर पर काला दाग़ पड गया है। कहीं कहीं यह भी लिखा हैं कि जब इंद्र ने अहल्या का सतीत्व भंग किया था, तब चंद्रमा ने इंद्र को सहायता दी थी। गौतम ऋषि ने क्रोधवश उन्हें अपने कमंडल और मृगचर्म से मारा, जिसका दाग़ उनके शरीर पर पड़ गया।

  • चाँद, शशि, मयंक; राकेश
  • किसी ग्रह का प्राकृतिक उपग्रह

    उदाहरण
    . जूपिटर के सोलह चंद्रमा हैं ।

  • हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित एक देवता
  • पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने वाला एक उपग्रह

    उदाहरण
    . चंद्रमा सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है ।

  • वह वस्तु जो चंद्रमा के सदृश्य या आकार की हो

    उदाहरण
    . मूर्तिकार ने एक धातु का चंद्रमा बनाकर शंकर भगवान की मूर्ति के सिर पर लगा दिया ।

  • पृथ्वी का एक प्रसिद्ध उपग्रह जो पृथ्वी से २५३०००मील दूर है और जिसका व्यास २१६० मील है तथा जिसके कारण रात के समय पृथ्वी पर चांदनी या प्रकाश होता है और जो एक चांद्र मास में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है
  • सौरमंडल में पृथ्वी का उपग्रह जिसका व्यास 3,476 किलोमीटर एवं पृथ्वी से औसत दूरी 384,403 किलोमीटर है;

चंद्रमा के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • the moon

चंद्रमा के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • चांद, जून, आकाशीय गृह जो पृथ्वी के सबसे निकट है

चंद्रमा के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला एक उपग्रह, चांद

Noun, Masculine

  • moon.

चंद्रमा के मगही अर्थ

चंदरमा

संज्ञा

  • देखिए : 'चनरमा'

चंद्रमा के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • चान

Noun

  • moon.

अन्य भारतीय भाषाओं में चंद्रमा के समान शब्द

उर्दू अर्थ :

चाँद - چاند

पंजाबी अर्थ :

चंदरमा - ਚੰਦਰਮਾ

गुजराती अर्थ :

चंद्रमा - ચંદ્રમા

चांदो - ચાંદો

कोंकणी अर्थ :

चंद्र

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