चपरी

चपरी के अर्थ :

चपरी के ब्रज अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • शीघ्रता से , सहसा

    उदाहरण
    . चपरि चखनि तें जो जल आवै ।


स्त्रीलिंग

  • एक कदन्न , केसारी

चपरी के हिंदी अर्थ

संस्कृत ; क्रिया-विशेषण

  • फुरती से, चपलता से, तेजी से जोर से, सहसा, एकबारगी

    उदाहरण
    . राम चहत सिव चापहि चपरि चढ़ावन । . कियो छुड़ापन विविध उपाई । चपरि गह्यो तुलसी बरियाई । . जीवन से जागी आगि चपरि चौगुनी लागि तुलसी बिलोकि मेघ चले मुँह मोरि कै । . तहाँ दशरथ के समर्थ नाथ तुलसी को चपरि चढ़ायो चाप चंद्रमा ललाम को । . चपरि चलेउ हय सुटुकि नृप हाँकि न होइ निबाहु ।


हिंदी ; संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक कदन्न या घास जिसमें चिपटी चिपटी फलियाँ लगती हैं, खेसारी, चिपटैया, खेसारी नाम का कदन्न जिसमें चपटी फलियाँ लगती है

चपरी के अंगिका अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • खेसारी, कुअन्न

चपरी के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • वार्निश के काम आने वाले लाख, गेहूँ की नाक (अंकुरण स्थल), से खाना प्रारम्भ करने वाली छोटी इल्ली

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