चतुरंग

चतुरंग के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

चतुरंग के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह गाना जिसमें चार प्रकार (जैसे, साधारण गाना, सरगम, तराना, और तबले, मृदंग, सितार आदि) के बोल गठे हों

    उदाहरण
    . ग सा रे रे म म प प नि नि स स नि स रे स नि ध प प ध म म नि ध प ध प म ग रे। तनन तनन तुम दिर दिर तूम दिर तारे दानी। सोरठ चतुरंग सप्त सुरन से। धा तिरकिट धुम किट धा तिर किट धुम किट धा तिर किट धुम किट धा।

  • एक प्रकार का रंगीन या चलता गाना
  • चतुरंगिणी सेना का प्रधान अधिकारी
  • सेना के चार अंग हाथी, घोड़ा, रथ और पैदल
  • चतुरंगिणी सेना
  • दूत, चर

    उदाहरण
    . बर अथवंत सु दीह आइ चतुरंग सपन्नौ। मझ्झ महल नृप बोल वंचि कग्गद कर लिन्नौ।

  • शतरंज के खेल का प्राचीन भारतीय नाम

    विशेष
    . इस खेल के उत्पत्तिस्थान के विषय में लोगों के भिन्न-भिन्न मत हैं। कोई इसे चीन देश से निकला हुआ बतलाते हैं, कोई मिस्र से और कोई यूनान से। पर अधिकांश लोगों का मत है और ठीक भी है कि यह खेल भारतवर्ष से निकला है। यहाँ से यह खेल फ़ारस में गया; फ़ारस से अरब में और अरब से यूरोपीय देशों में पहुँचा। फ़ारसी में इसे चतरंग भी कहते हैं। पर अरबवाले इसे शातरंज, शतरंज आदि कहने लगे। फ़ारस में ऐसा प्रवाद है कि यह खेल नौशेरवाँ के समय में हिंदुस्तान से फ़ारस में गया और इसका निकालने वाला दहिर का बेटा कोई सस्सा नामक था। ये दोनों नाम किसी भारतीय नाम के अपभ्रंश हैं। इसके निकाले जाने का कारण फ़ारसी पुस्तकों में यह लिखा है कि भारत का कोई युद्धप्रिय राजा, जो नौशोरवाँ का समकालीन था, किसी रोग से अशक्त हो गया। उसी का जी बहलाने के लिए सस्सा नामक एक व्यक्ति ने चतुरंग का खेल निकाला। यह प्रवाद इस भारतीय प्रवाद से मिलता-जुलता है कि यह खेल मंदोदरी ने अपने पति को बहुत युद्धसक्त देखकर निकाला था। इसमें तो कोई संदेह नहीं कि भारतवर्ष में इस खेल का प्रचार नौशेरवाँ से बहुत पहले था। चतुरंग पर संस्कृत में अनेक ग्रंथ हैं, जिनमें से चतुरंगकेरली, चतुरंगक्रीड़न, चतुरंगप्रकाश और चतुरंगविनोद नामक चार ग्रंथ मिलते हैं। प्रायः सात सौ वर्ष हुए त्रिभंगचार्य नामक एक दक्षिणी विद्वान् इस विद्या में बहुत निपुण थे। उनके अनेक उपदेश इस क्रीड़ा के संबंध में हैं। इस खेल में चार रंगों का व्यवहार होता था—हाथी, घोड़ा, नौका, और बट्टे (पैदल)। छठी शताब्दी में जब यह खेल फारस में पहुँचा और वहाँ से अरब गया, तब इसमें ऊँट और वज़ीर आदि बढ़ाए गए और खेलने की क्रिया में भी फेरफार हुआ तिथितत्व नामक ग्रंथ में वेदव्यास जी ने युधिष्ठिर को इस खेल का जो विवरण बताया है, वह इस प्रकार है—चार आदमी यह खेल खेलते थे। इसका चित्रपट (बिसात) 64 घरों का होता था जिसके चारों ओर खेलने वाले बैठते थे। पूर्व और पश्चिम बैठने वाले एक दल में और उत्तर दक्षिण बैठने वाले दूसरे दल में होते थे। प्रत्येक खिलाड़ी के पास एक राजा, एक हाथी, एक घोड़ा, एक नाव और चार बट्टे या पैदल होते थे। पूर्व की ओर की गोटीयाँ लाल, पश्चिम की पीली, दक्षिण की हरी और उत्तर की काली होती थीं। चलने की रीति प्रायः आज ही कल के ऐसी थी। राजा चारों ओर एक घर चल सकता था। बट्टे या पैदल यों तो केवल एक घर सीधे जा सकते थे, पर दूसरी गोटी मारने के समय एक घर आगे तिरछे भी जा सकते थे। हाथी चारों ओर (तिरछे नहीं) चल सकत था। घोड़ा तीन घर तिरछे जाता था। नौका दो घर तिरछे जा सकती थी। मोहरे आदि बनाने का क्रम प्राय; वैसा ही था, जैसा आजकल है। हार-जीत भी कई प्रकार की होती थी। जैसे—सिंहसन, चतुराजी, नृपाकृष्ट, षट्पद काककाष्ट, बृहन्नौका इत्यादि।


विशेषण

  • जिसके चार अंग हों, चार अंगोंवाली, चतुरंगिणी (सेना)

    उदाहरण
    . प्रात चली चतुरंग चमू बरनी सों न केशव कैसहु जाई।

  • चार अंगोंवाला

चतुरंग के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

चतुरंग के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • quadripartite, consisting of four members or parts

चतुरंग के ब्रज अर्थ

विशेषण, पुल्लिंग

  • सेना के चार अंग - हाथी, घोड़ा, रथ और पैदल ; चतुरंगिणी सेना का सेनापति ; गान विशेष ; शतरंज का खेल
  • चार अंगों वाला

चतुरंग के मैथिली अर्थ

विशेषण

  • चारि अङ्ग (हाथी, घोड़ा, रथ ओ पदाति) वाला (सेना)
  • सतरञ्ज खेल

Adjective

  • four-winged (army) consisting of elephant, cavalry, chariot and infantry
  • chess.

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