चित

चित के अर्थ :

चित के ब्रज अर्थ

सकर्मक क्रिया, पुल्लिंग

  • अंतःकरण की एक वृत्ति , जी ; चितवन
  • देखना

चित के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • mind, heart

चित के हिंदी अर्थ

चित्त

हिंदी ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • चित्तवन, दृष्टि, नजर

    उदाहरण
    . चित जानकी अध को कियो । हरि तीन द्वै अवलोकियो ।


संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • अंतःकरण का एक भेद , अंतःकरण की एक वृत्ति

    विशेष
    . वेदांतसार के अनुसार अंतःकरण की चार वृत्तियाँ है— मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार । संकल्प विकल्पात्मक वृत्ति को मन, निश्चयात्मक वृत्ति को बुद्धि और इन्हीं दोनों के अंतर्गत अनुसंधानात्मक वृत्ति को चित्त औऱ अभिमानात्मक वृत्ति को अंहकार कहते हैं । पंचदशी में इंद्रियो के नियंता मन ही को अंतःकरण माना है । आंतरिक व्यापार में मन स्वतंत्र है, पर बाह्य व्यापार में इंद्रियाँ परतंत्र हैं । पंचभूतों की गुणसमष्टि से अंतःकरण उत्पन्न होता है जिसकी दो वृत्तियाँ हैं मन और बुद्धि । मन संशायात्मक और बुद्धि निश्चयात्मक है । वेदांत में प्राण को मन का प्राण कहा है । मृत्यु होने पर मन इसी प्राण में लय हो जाता है । इसपर शंकराचार्य कहते हैं कि प्राण में मन की वृत्ति लय हो जाती है, उसका स्वरूप नहीं । क्षणिकवादी बौद्ध चित्त ही को आत्मा मानते हैं । वे कहते हैं कि जिस प्रकार अग्नि अपने को प्रकाशित करके दूसरी वस्तु को भी प्रकाशित करती है, उसी प्रकार चित्त भी करता है । बौद्ध लोग चित्त के चार भेद करते हैं—कामावचर रूपावचर, अरूपावचर औऱ लोकोत्तर । चार्वाक के मत से मन ही आत्मा है । योग के आचार्य पंचजलिचित्त को स्वप्रकाश नहीं स्वीकार करते । वे चित्त को दृश्य और जड़ पदार्थ मानकर सका एक अलग प्रकाशक मानते हैं जिसे आत्मा कहते हैं । उनके विचार में प्रकाश्य और प्रकाशक के संयोग से प्रकाश होता है, अत: कोई वस्तु अपने ही साथ संयोग नहीं कर सकती । योगसूत्र के अनुसार चित्तवृत्ति पाँच प्रकार की है—प्रमाण, विपर्यय, विकल्प, निद्रा और स्मृति । प्रत्यक्ष, अनुमान और शब्दप्रमाण; एक में दूसरे का भ्रम—विपर्यय;स्वरूपज्ञान के बिना कल्पना— विकल्प; सब विषयों के अभाव का बोध—निद्रा और कालांतर में पूर्व अनुभव का आरोप स्मृति कहलाता है । पच- दशी तथा और दार्शनिक ग्रंथों में मन या चित्त का स्थान हृदय या हृत्पझगोलक लिखा है । पर आधुनिक पाश्चात्य विज्ञान अंत:करण के सारे व्यापारों का स्थान मस्तिष्क में मानता है जो सब ज्ञानतंतुओं का केंद्रस्थान है । खोपड़ी के अंदर जो टेढ़ी मेढ़ी गुरियों की सी बनावट होती है, वही अंत:करण है । उसी के सूक्ष्म मज्जा-तंतु-जाल और कोशों की क्रिया द्वारा सारे मानसिक व्यापारी होते हैं । भूतवादी वैज्ञानिकों के मत से चित्त, मन या आत्मा कोई पृथक् वस्तु नहीं है, केवल व्यापार- विशेष का नाम है, जो छोटे जीवों में बहुत ही अल्प परिमाण में होता है और बड़े जीवों में क्रमश:बढ़ता जाता है । इस व्यापार का प्राणरस (प्रोटोप्लाज्म) के कुछ विकारों के साथ नित्य संबंध है । प्राणरस के ये विकार अत्यंत निम्न श्रेणी के जीवों में प्राय: शरीर भर में होते हैं; पर उच्च प्राणियों में क्रमश: इन विकारों के लिये विशेष स्थान नियत होते जाते हैं और उनसे इंद्रियों तथा मस्तिष्क को सृष्टि होती है ।

  • वह मानसिक शक्ति जिससे धारणा, भावना आदि की जाती हैं , अंत:करण , जी , मन , दिल
  • नृत्य में एक प्रकार की दृष्टि जिसका व्यवहार शृंगार में प्रसन्नता प्रकट करने के लिये होता है

    विशेष
    . दे॰ 'चित्त' ।


विशेषण

  • विचार किया हुआ, विचारित
  • अनुभूत या अनुभव किया हुआ
  • इच्छित, चाहा हुआ
  • इंद्रिय- गम्य, गोचर

चित के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

चित से संबंधित मुहावरे

चित के अवधी अर्थ

चित्त

विशेषण

  • जिसका मुँह ऊपर हो और जो पीठ के बल पड़ा हो

चित के कन्नौजी अर्थ

चित्त, चित्तु

संज्ञा, विशेषण, पुल्लिंग

  • अंतःकरण, मन

  • जिसका मुँह पेट ऊपर की ओर हो

चित के कुमाउँनी अर्थ

चित्त

विशेषण

  • चिन्त-'सप्ताह सुषमा में उगें लागन छ, टोकी में मन चित्त आंखी लड़ीणा, (कु०को० ना०/146.81)

चित के गढ़वाली अर्थ

चित्त

विशेषण

  • बेहोश, बेसुध, मूर्ति

Adjective

  • unconscious, fainted.

चित के बज्जिका अर्थ

चित्त

संज्ञा

  • पीठ के बल लेटना

चित के बुंदेली अर्थ

चित्त

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ध्यान, आकाश की ओर मुंह किये पड़ा हुआ,

चित के मैथिली अर्थ

चित्त

संज्ञा

  • अन्त:करण, मन
  • ध्यान

Noun

  • mind, heart.
  • attention.

चित के मालवी अर्थ

चित्त

विशेषण

  • सीधा, स्त्री. - मन, चित्त।

अन्य भारतीय भाषाओं में चित्त के समान शब्द

पंजाबी अर्थ :

चित्त - ਚਿੱਤ

गुजराती अर्थ :

चित्त - ચિત્ત

मन - મન

हृदय - હૃદય

उर्दू अर्थ :

जी - جی

ज़मीर - ضمیر

दिल - دل

कोंकणी अर्थ :

मन

अंतः करण

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