दास

दास के अर्थ :

  • अथवा - दाश

दास के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • देखिए : 'ढोल-दमाऊँ', बजाने एंव सीना-पिरोना करने वाली जाति के लोग आवजी (औजी)
  • अपनी सेवा कराने के लिए मूल्य या वेतन देकर रखा हुआ व्यक्ति, सेवक, भृत्य, चाकर

Noun, Masculine

  • drum beaters as well as professional tailors known as AUJI or DAS in Garhwal region of Uttarakhand
  • slave, servant, attendant

दास के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • a slave
  • servant, serf
  • thrall

दास के हिंदी अर्थ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह जो अपने को दूसरे की सेवा के लिए समर्पित कर दे, सेवक, चाकर, नौकर, भृत्य

    विशेष
    . मनु ने सात प्रकार के दास लिखे हैं— ध्वजाहृत, अर्थात् युद्ध में हुआ, भक्त दास अर्थात् जो भात या भोजन पर रहे, गृहज अर्थात् जो घर की दासी से उत्पन्न हो, क्रीत अर्थात् मोल लिया हुआ, दात्रिम, अर्थात् जिसे किसी ने दिया हो, दंडदास अर्थात् जिसे राजा ने दास होने का दंड दिया हो और पैतृक, अर्थात् जो बाप दादों से दाय में मिला हो। याज्ञवल्क्य, नारद आदि स्मृतियों में दास पंद्रह प्रकार के गिनाए गए हैं— गृहजात, क्रीत, दाय में मिला हुआ, अन्नाकालभृत अर्थात् अकाल या दुर्भिक्ष में पाला हुआ, आहित अर्थात् जो स्वामी से इकट्ठा धन लेकर उसे सेवा द्वारा पटाता हो, ऋणदास अर्थात् जो ऋण लेकर दासत्व के बंधन में पड़ा हो, युद्धप्राप्त अर्थात् बाज़ी या जुए में जीता हुआ, स्वयं उपगत अर्थात् जो आपसे आप दास होने के लिए आया हो, प्रव्रज्यावसित अर्थात् जो संन्यास से पतित हुआ हो, कृत अर्थात् जिसने कुछ काल तक के लिए आपसे आप सेवा करना स्वीकार किया हो, भक्तदास, बड़वाहृत्अर्थात् जो किसी बड़वा या दासी से विवाह करने से दास हुआ हो, लब्ध अर्थात् जो किसी से मिला हो और आत्मविक्रेता अर्थात् जिसने अपने को बेच दिया हो। . प्राचीन काल में योद्धा लोग और धनवान् लोग ग़रीबों को ख़रीदकर अपना दास बना लेते थे और अपने ही घर में तुच्छ सेवकों की तरह रखते थे। ऐसे लोगों की संतान भी दास वर्ग में ही रहती थीं। कभी-कभी लोग अपने ऋण या देन न चुका सकने के कारण, जुए में हार जाने के कारण या अकाल में अपना या अपने परिवार का भरण पोषण न कर सकने के कारण भी अपनी इच्छा से ही दूसरों के दास बन जाते थे। पाश्चात्य देशों में प्रबल जातियाँ दुर्बल जाति के लोगों को पकड़कर और विदेशों में ले जाकर दास रूप में बेचने का व्यवसाय भी करती थीं। ऐसे लोगों को किसी प्रकार की विधिक या सामाजिक स्वतंत्रता नहीं होती थी। हमारे यहाँ मनु ने सात प्रकार के और परवर्ती स्मृतिकारों ने पन्द्रह प्रकार के दास बतलाये हैं। हमारे यहाँ भी विधान था कि ब्राह्मण न तो कभी दास बन सकता था और न तो बनाया जा सकता था, क्षत्रिय और वैश्य कुछ विशिष्ट अवस्थाओं में दासत्व से मुक्त भी हो सकते थे परन्तु शूद्र कभी दासत्व के बंधन से मुक्त नहीं हो सकता था।

    उदाहरण
    . दास कबीरा कह गए सबके दाता राम।

  • पैसा देकर अपनी सेवा के लिए ख़रीदा गया व्यक्ति, ग़ुलाम
  • शूद्र
  • धीवर
  • एक उपाधि जो शूद्रों के नामों के आगे लगाई जाती है
  • दस्यु
  • वृत्रासुर
  • ज्ञातात्मा, आत्मज्ञानी
  • दानपात्र
  • कायस्थों की एक उपाधि (बंगाल)
  • दूसरे के वश में रहने वाला व्यक्ति

हिंदी ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • देखिए : 'दासन', 'डासन'

    उदाहरण
    . भा निर्मल सब धरति अकासू। सेज सँवारि गीन्ह भल दासू।

दास के यौगिक शब्द

संपूर्ण देखिए

दास के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • घीवर, केवट, सेवक, भक्त

दास के अवधी अर्थ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • नौकर

दास के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सेवक, नौकर

दास के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • दर्ज़ी, एक अवर्ण या शिल्पकार जाति
  • सेवक, ख़िदमतगार, वह जो दूसरे की सेवा के लिए अपने को समर्पित कर दे, भृत्य, किंकर, नौकर, खरीदा हुआ नौकर, ग़ुलाम

दास के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ग़ुलाम, ख़रीदे या युद्ध में जीते हुए लोग राजाओं के यहाँ शादी में मिलने वाले नौकर

दास के ब्रज अर्थ

  • कन्हरदास , रामशाह का एक दरबारी

दास के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • ग़ुलाम, बिकाएल लोक
  • सेवक

Noun

  • slave
  • servant

दास के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • गुलाम, सेवक, दासता, अपनी सेवा कराने के लिये मूल्य देकर लिया हुआ व्यक्ति, चाकर।

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