daayabhaag meaning in hindi
दायभाग के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- पैतृक धन का विभाग
-
बाप दादे या संबंधी की संपत्ति के पुत्रों, पौत्रों या संबंधियों में बाँटे जाने की व्यवस्था , बपौती या वरासत की मिलाकियत को वारिसों या हकदारों में बाँटने का कायदा कानून
विशेष
. यह हींदू धर्मशास्त्र के प्रधान विषयों में से है । मनु, याज्ञवल्क्य आदि स्मृतियों में इसके संबंध में विस्तृत व्यवस्था है । ग्रंथकारों और टीकाकारों के मतभेद से पैतृक धनविभाग के संबंध में भिन्न भिन्न स्थानों में भिन्न भिन्न व्यवस्थाएँ प्रच- लित हैं । प्रधान पक्ष दो हैं—मिताक्षरा और दायभाग । मिताक्षरा याज्ञवल्क्य स्मृति पर विज्ञानेश्वर की टीका है जिसके अनुकूल व्यवस्था पंजाब, काशी, मिथिला आदि से लेकर दक्षिण कन्याकुमारी तक प्रचलति है । 'दायभाग' जीमूत- वाहन का एक ग्रंथ है जिसका प्रचार वंग देश में है । - पुत्र
- पुत्र
- पौत्र
- पौत्र
- प्रपौत्र
- प्रपौत्र
- विधवा ४ विधवा
- अविवाहिता कन्या ५अविवाहिता कन्या
- विवाहिता अपुत्रवती निर्धन कन्या
- विवाहिता पुत्रविती कन्या
- विवाहिता पुत्रवती संपन्न कन्या
- नाती ( कन्या का पुत्र)
- नाती (कन्या का पुत्र)
- पिता
- माता९
- माता
- पिता
- भाई
- भाई
- भतीजा
- भतीजा
- भतीजा का लड़का
- दादी
- बहन का लड़का
- दादा
- दादा
- चाचा
- दादी
- चचेरा भाई
- चाचा
- परदादी
- चचेरा भाई
- परदादा
- चचेरे भाई का लड़का
- दाद का भाई १९
- दादा की लड़की का लड़का
- दादा के भाई का लड़का २० पंरदादा
- परदादा के ऊपर तीन पीढ़ी के और पूर्वज
- परदादी
- और सपिंड
- दादा का भाई
- समानोदक
- दादा के भाई का लड़का
- बंधु
- दादा के भाई का पोता
- आचार्य
- परदादा की लड़की का लड़का
- शिष्य
- नाना
- सहपाठी या गुरुरमाई
- मामा
- राजा (यदि संपत्ति ब्राह्मण की न हो , ब्राह्मण की हो तो उसकी जाती में जाय)
- मामा का लड़का
- मामा का पोता
- मौसी का लड़का
- सकुल्य
- समानोदक
- और बंधु
- आचार्य इत्यादि, इत्यादि , उपर जो क्रम दिया गया है उसे देखने से पता लगेगा कि मिताक्षरा माता का स्वत्व पहले करती है और दायभाग पिता का , याज्ञवल्क्य का श्लोक है— पत्नी दुहितरश्यौव पितरौ भ्रातरस्तथा , तत्सुता गोत्रजा बंधुः शिष्यः सब्रह्मचारिणः , , इस श्लोक के 'पितरौ' शब्द को लेकर मिताक्षरा कहती है कि 'माता पिती' इस समास में माता शब्द पहले आता है और माता का संबंध भी अधिक घनिष्ठ है, इससे माता का स्वत्व पहले है , जीमूतवाहन कहता है कि 'पितरौ' शब्द ही पिता की प्रधानता का बोधक है इससे पहले पिता का स्वत्व है , मिथिला, काशी और बंबई प्रांत में माता का स्वत्व पहले और बंगाल, मदरास तथा गुजरात में पिता का स्वत्व पहले माना जाता है , मिताक्षरा दायाधिकार में केवल संबंध निमित्त मानती है और दायभाग पिंडोदक क्रिया , मिताक्षरा 'पिंड' शब्द का अर्थ शरीर करके सपिंड से सात पीढ़ियों के भीतर एक ही कुल का प्राणी ग्रहण करती है, पर दायभाग इसका एक ही पिंड से संबद्ध अर्थ करके नाती, नाना, मामा इत्यादि को भी ले लेता है
दायभाग के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएदायभाग के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिए
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