डमरू

डमरू के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

डमरू के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक बाजा जिसका आकार बीच में पतला और दोनों सिरों की और बारबार चौड़ा होता जाता है

    विशेष
    . इस वाद्य के दोनों सिरों पर चमड़ा मढ़ा होता है । इसके बीच में दो तरफ बराबर बढ़ी हुई डोरी बँधी होती है जिसके दोनों छोटों पर एक एक कोड़ी या गोली बँधी होती है । बीच में पकड़कर जब बाजा हिलाया जाता है तब दोनों कौड़ियाँ चमड़ें पर पड़ती है और शब्द होता है । यह बाजा शिव जी को बहुत प्रिय है । बंदर नचानेवाले भी इस प्रकार का एक बाजा अपने साथ रखते हैं ।

  • डमरू के आकार की कोई वस्तु , ऐसी वस्तु जो बीच में पतली हो और दोनों और बारबर चौड़ी (उलटी गावदुम) होती गई हो
  • एक प्रकार का दंडक वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में ३२ लघु वर्ण होते हैं , जैसे,—रहत रजत नग नगर न गज तट गज खल कलगर गरल तरल धर , भिखारीदास ने इसी का नाम जलहरण लिखा है

डमरू के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

डमरू के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक बाजा जो बीच में पतला तथा किनारे पर चौड़ा होता है

डमरू के अवधी अर्थ

संज्ञा

  • पुराना बाजा जो शिवजी को प्रिय है

डमरू के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रसिद्ध बाजा

डमरू के बज्जिका अर्थ

संज्ञा

  • भगवान शिव का ताल-वादय

डमरू के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • चमड़े से मढ़ा जाने वाला एक छोटा बाजा जो बीच में पतला होता है और हिलाने पर उसमें लगी घंटियों से वह बजता है

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • बीच में पतली एक हाथ से पकड़कर बजाई जाने वाली एक प्रकार की ढोलक, डुगडुगी, शंकर जी का वाद्या

डमरू के ब्रज अर्थ

  • एक बाजा , डमरू

डमरू के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • एक बाजा जे बीचमे मुट्ठीसँ पकड़ि बजाओल जाइत अछि

Noun

  • tabor.

डमरू के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • डुगडुगी।

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