ध्रुव

ध्रुव के अर्थ :

ध्रुव के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, विशेषण, पुल्लिंग

  • एक प्रसिद्ध बाल तपस्वी. 2. एक प्रसिद्ध तारा
  • स्थिर, अचल, अटल

ध्रुव के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • a pole
  • the polar star

ध्रुव के हिंदी अर्थ

संस्कृत ; विशेषण

  • सदा एक ही स्थान पर रहने वाला, इधर-उधर न हटने वाला, स्थिर, अचल
  • सदा एक ही अवस्था में रहने वाला, नित्य
  • निश्चित, दृढ़, ठोस, पक्का

    उदाहरण
    . उनका आना ध्रुव है।


संज्ञा, पुल्लिंग

  • आकाश
  • शंकु, क़ील
  • पर्वत
  • स्थाणु, खंमा, थून
  • वट, बरगद
  • आठ वस्तुओं में से एक
  • ध्रुवक, ध्रुपद
  • एक यज्ञपात्र
  • शरारि नामक पक्षी
  • विष्णु
  • हार
  • फलित ज्योतिष में एक शुभ योग जिसमें उत्पन्न बालक बड़ा विद्बान, बुद्धिमान् और प्रसिद्ध होता है
  • ध्रृवतारा

    उदाहरण
    . ध्रुव तारा अन्य तारों से अधिक चमकदार होता है।

  • नाक का अगला भाग
  • गाँठ
  • पुराणों के अनुसार राजा उत्तानपाद के एक पुत्र जिनकी माता का नाम सुनीति था

    विशेष
    . राजा उत्तानपाद को दो स्त्रियां थीं सुरूचि और सुनीति। सुरुचि से उत्तम और सुनीति से ध्रुव उत्पन्न हुए। राजा सुरुचि को बहुत चाहते थे। एक दिन राजा उत्तम को गोद में लिए बैठे थे इसी बीच मे ध्रुव खेलते हुए वहाँ आ पहुँचे ओर राजा की गोद बैठ गए। इस पर उनकी विमाता सुरूचि ने उन्हें अवज्ञा के साथ वहाँ से उठा दिया। ध्रुव इस अपमान को सह न सके और घर से निकलकर तप करने चले गए। विष्णु भगवान उनकी भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें वर दिया कि 'तुम सब लोकों और ग्रहों नखत्रों के ऊपर उनके आधार स्वरुप होकर अचल भाव से स्थित रहोगे और जिस स्थान पर तुम रहोगे वह ध्रुव लोक कहलावेगा। इसके उपरांत ध्रुव ने घर आकर पिता से राज्य प्राप्त किया और शिशुमार को कन्या भ्रमि से विवाह किया। इला नाम की इनकी एक और पत्नी थी। भ्रमि के गर्म से कल्प और बत्सर तथा इला के गर्भ से उत्कल नामक पुत्र उत्पन्न हुए। एक बार इनके सौतेले भाई उत्तम को यक्षों ने मार ड़ाला इसलिए इन्हें उनसे युद्ध करना पड़ा जिसे पितामह मनु ने शांत किया। अंत में छत्तीस हज़ार वर्ष राज्य करक ध्रुव विष्णु के दिए हुए। ध्रुवलोक में चले गए।

    उदाहरण
    . पाँच वर्ष की उम्र में ही ध्रुव भगवान की तपस्या करने वन में चले गए।

  • शरीर की भोंरी

    विशेष
    . वक्षस्थल, मस्तक, रंध्र, उपरंध्र, माल और अपान इन स्थानों की भौरियां ध्रुव कहलाती हैं। (शव्दार्थचिंतामणि)

  • भूगोल विद्या में पृथ्वी का अक्ष देश, पृथ्वी के वे दोनों सिरे जिससे होकर अक्षरेखा गई हुई मानी जाती है

    विशेष
    . सूर्य की परिक्रमा पृथ्वी लट्टू की तरह घुमती हुई करती है। एक दिन रात में उसका इस प्रकार का धूमना एक बार हो जाता है। जिस प्रकार लटूठ् के बीचोंबीच एक क़ील गई होती है जिस पर वह घूमता है उसी प्रकार पृथ्वी के गर्भकेंद्र से गई हुई एक अक्षरेखा मानी गई है। यह अक्षरेखा जिन दो सिरों पर निकली हुई मानी गई है उन्हें 'ध्रुव' कहते है। ध्रुव दो हैं- उत्तर ध्रुव या सुमेरु और दक्षिण ध्रुव या कुमेरु। इन स्थानों से २२ १/२ अंश पर पृथ्वी के तल पर एक एक वृत्त माने गए हैं। जिन्हें उत्तर और दक्षिण शितकटिवंध कहते हैं। ध्रुवों और इन वृतों के बीच के प्रदेश अत्यंत ठंड़े हैं। उनमें समुद्र आदि का जल सदा जमा रहता है। घ्रुव प्रदेश में दिन रात २४ घंटों का नहीं होता, वर्ष भर का होता है। जब तक सूर्य उत्तरायण रहते है तब तक उत्तर ध्रुव पर दिन और दक्षिण ध्रुव पर रात और जब तक दक्षिणायन रहते हैं तब तक दक्षिण ध्रुव पर दिन और उत्तर ध्रुव पर रात रहती है। अर्थात् मोटे हिसाब से कहा जा सकता है कि वहाँ छइ महीने की रात और छह महीने का दिन होता है। इसी प्रकार वहाँ संध्या और उषा काल भी लंबा होता है। वहाँ सूर्य और चंद्रमा पूर्व से पश्चिम जाते हुए नहीं मालूम होते बल्कि चारों ओर कोल्हू कै बैल की तरह घूमते दिखाई पड़ते हैं। ध्रुव प्रदेश में उषा काल और संध्या काल की ललाई क्षितिज के ऊपर वीसों दिन तक घुमती दिखाई पड़ती है। वहीं तक नहीं वह नक्षत्र युक्त राशिचक्रभी ध्रृव के चारों ओर झुकना दिखाई पड़ता है। शब्द की गति ध्रुव प्रदेश में बहुत तेज़ होती है, मीला पर होने वाला शब्द ऐसा जान पड़ता है कि पास ही हुआ है। इस भूभाग में सबसे मनोहर मेरुज्योति है जो चित्र विचित्र और नाना वणों के आलोक के रूप में कुछ काल तक दिखाई देती है।

    उदाहरण
    . एशिया उत्तरी ध्रुव से लेकर भूमध्य रेखा तक फैला हुआ है।

  • फलित ज्योतिष में एक नक्षत्रगण जिसमें उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तर भाद्रपद और रोहिणी है
  • रगण का अठारहवाँ भेद जिसमें पहले एक लघु फिर एक गुरु और फिर तीन लघु होते हैं
  • तालु का एक रोग जिसमें ललाई और सूजन आ जाती है
  • सोमरस का वह भाग जो प्रातःकाल से सायंकाल तक बिना किसी देवता को अर्पित हुए रखा रहे

हिंदी ; विशेषण

  • ध्रूव

    उदाहरण
    . दिष्षे सु नयन पुह करि प्रसिद्ध। कियौ पाप इन ध्रुब करि।

ध्रुव के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • उत्तरी आकाश में सदा अटल रहने वाला प्रसिद्ध तारा

ध्रुव के गढ़वाली अर्थ

विशेषण

  • एक स्थान पर स्थिर, अटल, दृढ़, निश्चित

Adjective

  • stable,firm, fixed, perpetual; polar star; a mythological prince who had firm and unflinching faith in god Vishnu.

ध्रुव के मैथिली अर्थ

विशेषण

  • अविचल, स्थिर, स्थायी
  • पक्का, निश्चित, अवश्यम्भावी

Adjective

  • constant, fixed.
  • sure, certain.

अन्य भारतीय भाषाओं में ध्रुव के समान शब्द

पंजाबी अर्थ :

धुरू - ਧੁਰੂ

धुरू - ਧੁਰੂ

गुजराती अर्थ :

ध्रुव, स्थिर - ધ્રુવ, સ્થિર

स्थायी - સ્થાયી

नित्य - નિત્ય

शाश्वत - શાશ્વત

ध्रुव (पृथ्वीना बे खूणा) - ધ્રુવ (પૃથ્વીના બે ખૂણા)

ध्रुवतारो - ધ્રુવતારો

उर्दू अर्थ :

साबित - ثابت‏

साकिन - ساکن

दवामी - دوامی

क़ुत्ब - قطب

कोंकणी अर्थ :

दृढ़

शाश्वत

दोनी ध्रुव (भूगोल)

ध्रुव तारो

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