ध्यान

ध्यान के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

ध्यान के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ध्यान, अवधान, स्मरण, मन की एकाग्रता ध्यान से उतरबो

ध्यान के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • attention, heed
  • meditation
  • contemplation
  • concentration of mind

ध्यान के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • बाह्म इंद्रियों के प्रयोग कि बिना केवल मन में लाने की क्रिया या भाव , अतःकरण में उपस्थित करने की क्रिया या भाव , मानसिक प्रत्यंक्ष , जैसे, किसी देवता का ध्यान करना, किसी प्रिय व्यक्ति का ध्य़ान करना

    उदाहरण
    . बहुरि गौरि कर ध्यान करेहु । भूप किशोर देखि किन लेहु?

  • सोच विचार , चिंतन , मनन , जैसे,— आजकल तुम किस ध्यान में रहते हो
  • भावना , प्रत्यय , विचार , ख्याल , जैसे,— (क) चलते समय तुम्हें यह ध्यान न हुआ कि धोती लेते चलें ? , (ख) मन में इस बात का ध्यान बना रहता है , क्रि॰ प्रं॰— होना
  • रूपों या भावों की भीतर लेने या उपस्थित करनेवाला अंतः करण विधान , चित्त की ग्रहण बृत्ति , चित्त , मन , जैसे,— तुम्हारे ध्यान में यह बात कैसे आई कि मैने तुम्हारे साथ ऐसा किया होगा , क्रि॰ प्र॰— में आना , —में लाना
  • चित्त का अकेले या इंद्रियों के सहित किसी विषय की ओर लक्ष्य जिससे उस बिषय का स्थान अंतःकरण में सबके ऊपर हो जाय , किसी के संबंध में अंतःकरण की जाग्रत स्थिति, चेतना की प्रववृत्ति , चेत , खयाल , जैसे,— (क)इसकी कारी- गरी को ध्यान से देखो तब खूबी मालूम होगी , (ख) मेरा ध्यान दूसरी ओर था, फिर से कहिए , (ग) इधर ध्यान दो और सुनो
  • बोध करनेवाली वृत्ति , समझ , बुद्धि
  • धारण , स्मृति , य़द , क्रि॰ प्रं॰— होना
  • चित्त को चारो ओर से हटाकर किसी एक विषय (जैसे, परमात्मचिंतन) पर स्थिर करने की क्रीया , चित्त को एकाग्र करके किसी और लगाने की क्रिया , जैसे, योगियों का ध्य़ान लगाना

    विशेष
    . योग के आठ अंगों में 'ध्यान' सातबाँ अंग है । यह धारण और समाधि के बीच की अवस्था है । जब योगी प्रत्य़ाहार दारा क्षपने चित्त की वृत्तियों पर अधिकार प्राप्त कर लेता है तब उन्हें चारों ओर से हटाकर नाभि आदि स्थानों में से किसी एक में लगाता है । इसे धारण कहते है । धारण जब इस अवस्था को पहुँचती है कि धारणीय वस्तु के साथ चित्त के प्रत्यय की एकतानता हो जाती है तब उसे ध्यान कहते है । यही ध्यान जब चरमावस्थों को पहुँच जाता है तब समाधि कहलाता है जिसमें ध्येय के अतिरिक्त और कुछ नहीं रह जाता अर्थात् ध्याता ध्येय में इतना तन्मय हो जाता है कि उसे अपनी सत्ता भूल जाती है । बोद्ध और जैन धमों में भी ध्यान एक आवश्यक अंग है । जैन शास्त्र के अनुसार उत्तम संहनन युक्त चित्त के अवरोध का नाम ध्यान हैं ।

  • दमनक, दौना
  • गंधतृण
  • अंतःकरण या मन की वह वृति या शक्ति जो उसे किसी चीज या बात का बोध कराती, उसमें कोई धारणा उत्पन्न करती अथवा कोई स्मृति जाग्रत करती है

    उदाहरण
    . मैंने उन्हें एक बार देखा तो है पर उनकी आकृति अभी ध्यान में नहीं आ रही है ।

  • किसी को उपेक्षित न करने का भाव

    उदाहरण
    . वह बड़ों की बातों पर ध्यान न देते हुए अपनी मनमानी करता है ।

  • किसी बात या कार्य में मन के लीन होने की दशा या भाव

    उदाहरण
    . रमेश बड़े ध्यान से पढ़ता है ।

  • किसी विषय, विशेषतः धार्मिक विषय या अलौकिक सत्ता का लगातार कुछ समय तक होने वाला गंभीर मनन या चिंतन जो योग का सातवाँ तथा समाधि के पूर्व का अंग माना जाता है
  • वह ज्ञान जो स्मरण शक्ति के द्वारा एकत्र या प्राप्त होता है
  • किसी विशेष विषय पर चित्त की एकाग्रता
  • किसी स्वरूप का एकाग्र चिंतन
  • चिंतन या मनन करने की प्रवृत्ति
  • स्मृति; याद; ख़याल
  • (योग) ध्येय विषय के साथ चित्त की एकाग्रता
  • गौर; सोच-विचार
  • बुद्धि; समझ
  • अंतःकरण या मन की वह वृत्ति या शक्ति जो उसे किसी चीज या बात का बोध कराती, उसमें कोई धारणा उत्पन्न करती अथवा कोई स्मृति जाग्रत करती है, जैसे-हमने उन्हें एक बार देखा तो है, पर उनकी आकृति हमारे ध्यान में नहीं आ रही है, मुहा०-ध्यान पर चढ़ना = किसी बात का चित्त या मन में कुछ समय के लिए अपना स्थान बना लेना, जैसे-अब तक वही दृश्य हमारे ध्यान पर चढ़ा है, ध्यान से उतरना ध्यान के क्षेत्र से बाहर हो जाना, याद न रह जाना, जैसे-आपकी पुस्तक लाना मेरे ध्यान से उतर गया
  • अंतःकरण या मन की वह वृत्ति या स्थिति जिसमें वह किसी चीज या बात के संबंध में चिंतन, मनन या विचार करने में अग्रसर या प्रवृत्त होता है। किसी विषय को मानस-क्षेत्र में लाने या प्रत्यक्ष करने की अवस्था, क्रिया या भाव। मन का किसी विशिष्ट काम या बात की ओर लगना या होना। खयाल। जैसे-(क) हमारी बात ध्यान से सुनो। (ख) अभी वे किसी और ध्यान में हैं, उन्हें मत छेड़ो। क्रि० प्र०-आना।-जाना।-दिलाना।-देना।-लगना। -लगाना। विशेष-मानसिक और शारीरिक क्षेत्रों के अधिकतर कामों में हम मुख्यतः ध्यान की प्रेरणा और बल से ही प्रवृत्त होते हैं। कभी तो बाह्य इंद्रियों का कोई व्यापार हमारा ध्यान किसी ओर लगाता है, (जैसे-कोई चीज दिखाई पड़ने पर उसकी ओर ध्यान जाना) और कभी मन स्वतः किसी प्रकार के ध्यान में लग जाता है, (जैसे-कोई बात याद आने पर उसकी ओर ध्यान जाना या लगना)। यह हमारे अंतःकरण या चेतना की जाग्रत अवस्था का ऐसा व्यापार है जिससे कोई बात, भाव या रूप हमारे विचार का केंद्र बन जाता या हमारे मन में सर्वोपरि हो जाता है। महा०-(किसी चीज या बात पर) ध्यान जमना = चित्त का एकाग्र होकर किसी ओर उन्मुख होना। किसी काम या बात में मन का समु चित रूप से प्रवृत्त होकर स्थित होना। ध्यान बँटना जब ध्यान एक ओर लगा हो, तब कोई दूसरा काम या बात सामने आने पर उसमें बाधा या विघ्न होना। ध्यान बँधना या लगना = (क) दे० ऊपर ' ध्यान जमना '। (ख) किसी प्रकार के मानसिक चितन का क्रम बराबर चलता रहना। जैसे-जब से उनकी बीमारी का समाचार मिला है, तब से हमारा ध्यान उन्हीं की तरफ बँधा (या लगा) है। (किसी के) ध्यान में डूबना, मग्न होना या लगना = किसी के चिंतन, मनन या विचार में इस प्रकार प्रवृत्त या लीन होना कि दूसरी बातों की चिंता, विचार या स्मरण ही न रह जाय। उदा०-कब की ध्यान-लगी लखै, यह घर लगिहै काहि।-बिहारी। (किसी को) ध्यान में लाना = (क) किसी को अपने मानस-क्षेत्र में स्थान देना या स्थापित करना, बराबर मन में बनाये रखना, उदा०-(क) ध्यान आनि ढिग प्रान-पति रहति मुदित दिन राति, -बिहारी, (ख) किसी का कुछ महत्त्व समझाते या सम्मान करते हुए उसके संबंध में कुछ विचार करना या सोचना, चिंता या परवाह करना, जैसे-वह तुम्हारे भाई साहब को तो ध्यान में लाता ही नहीं, तुम्हें वह क्या समझेगा ! (किसी काम, चीज या बात का) ध्यान रखना इस प्रकार सतर्क या सावधान रहना कि कोई अनुचित या अवांछनीय काम या बात न होने पावे अथवा कोई क्रम इष्ट और यथोचित रूप में चलता रहे, जैसे-(क) ध्यान रखना, यहाँ से कोई चीज गुम न होने पावे, (ख) हमारी अनुपस्थिति में रोगी का ध्यान रखना, पद-ध्यान से तत्पर, दत्तचित्त या सावधान होकर, जैसे-चिट्ठी जरा ध्यान से पढ़ो

ध्यान के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

ध्यान से संबंधित मुहावरे

ध्यान के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सोच, विचार, चिंतन
  • गौर
  • बुद्धि, समझ
  • ख्याल, याद, स्मृति
  • चित्त, मन

ध्यान के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ध्यान, विचार, ख्याल, लगन, 'जोग ध्यान'–तप

ध्यान के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • मानस दर्शन, चिन्तन
  • इष्ट-देवताक स्वरूप
  • एक योग-क्रिया, कतहु चितकें निरन्तर एकाग्र राखब
  • अवधान, मनोयोग, एकाग्रता
  • स्मरण, चिन्तन

Noun

  • contemplation.
  • form of deity contemplated in worship.
  • process of yoga, constant meditation.
  • attention.
  • recollection, reflection.

अन्य भारतीय भाषाओं में ध्यान के समान शब्द

पंजाबी अर्थ :

धआन - ਧਆਨ

गुजराती अर्थ :

ध्यान - ધ્યાન

एकाग्रता - એકાગ્રતા

चिंतन - ચિંતન

मनन - મનન

उर्दू अर्थ :

तवज्जुह - توجہ

ख़याल - خیال‏

फ़िक्र - فکر

कोंकणी अर्थ :

ध्यान

विचार

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