dushyant meaning in hindi

दुष्यंत

  • स्रोत - संस्कृत

दुष्यंत के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • महाभारत में वर्णित एक प्रसिद्ध पुरुवंशी राजा जो ऐति नामक राजा के पुत्र थे

    विशेष
    . महाभारत में इनकी कथा इस प्रकार लिखी है— एक दिन राजा दुष्यंत शिकार खेलते-खेलते थककर कण्व मुनि के आश्रम के पास जा निकले। उस समय कण्व मुनि की पाली हुई लड़की शकुंतला वहां थी। उसने राजा का उचित सत्कार किया। राजा उसके रूप पर मुग्ध हो गए। पूछने पर राजा को मालूम हुआ कि शकुंतला एक अप्सरा के गर्भ से उत्पन्न विश्वामित्र ऋषि की कन्या है। जब राजा ने विवाह का प्रस्ताव किया तब शकुंतला ने कहा 'यदि गांधर्व विवाह में कुछ दोष न हो और आप मेरे ही पुत्र को युवराज बनाएँ तो मैं सम्मत हूँ'। राजा विवाह करके शकुंतला को कण्व ऋषि के आश्रम पर छोड़ अपनी राजधानी में चले गए। कुछ दिन बीतने पर शकुंतला को एक पुत्र हुआ जिसका नाम आश्रम के ऋषियों ने सर्वदमन रखा। कण्व ऋषि ने शकुंतला को पुत्र के साथ राजा के पास भेजा। शकुंतला ने राजा के पास जाकर कहा 'हे राजन ! यह आपका पुत्र मेरे गर्भ से उत्पन्न हुआ है और आपका औरस पुत्र है, इसे युवराज बनाइए'। राजा को सब बातें याद तो थीं पर लोक-निंदा के भय से उन्होंने उन्हें छिपाने की चेष्टा की और शकुंतला का तिरस्कार करते हुए कहा—'हे दुष्ट ! तपस्वनी ! तू किसकी पत्नी है ? मैंने तुझसे कोई संबंध कभी नहीं किया, चल दूर हो'। शकुंतला ने भई लज्जा छोड़कर जो जो जी में आया खू़ब कहा। इस पर देववाणी हुई 'हे राजन् ! यह पुत्र आपही का है, ईसे ग्रहण कीजिए। हम लोगों के कहने से आप इसका भरण करें और इस कारण इसका भरत नाम रखें'। देववाणी सुनकर राजा ने शकुंतला का ग्रहण किया। आगे चलकर भरत बड़ा प्रतापी राजा हुआ। इसी कथा को लेकर कालिदास ने 'अभिज्ञान शकुंतल' नाटक लिखा है। पर कवि ने कौशल से राजा दुष्यंत को दुष्ट नायक होने से बचाने के लिए दुर्वासा के शाप की कल्पना की है और यह दिखाया है कि उसी शाप के प्रभाव से राजा सब बातें भूल गए थे। दूसरी बात कवि ने यह की है कि जिस निर्लज्जता और धृष्टता के साथ शकुंतला का बिगड़ना महाभारत में लिखा है उसको वे बचा गए हैं।

  • दुख का अंत

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