गांधार

गांधार के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

गांधार के मैथिली अर्थ

विशेषण

  • गन्धार दश मनाला" xxx xx xx

Adjective

  • rels: to Gandhar.

गांधार के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • the city of Kandahar, Afghanistan

गांधार के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सिंधु नदी के पश्चिम का देश

    विशेष
    . यह पेशावर से लेकर कंधार तक माना जाता था। इस देश की सीमा भिन्न- भिन्न समयों में बदलती रही है। हुयनच्वांग के समय में इस देश के अंतर्गत सिंधु नदी से लेकर जलालाबाद तक और स्वात से कालाबाग तक का प्रदेश था। ऋग्वेद में यहाँ अच्छी भेड़ों का होना लिखा है। गांधारी इस देश की कन्या थी।

  • गांधार देश का रहने वाला व्यक्ति
  • गांधार देश का राजा या राजकुमार
  • भारतवर्ष का एक प्राचीन जनपद
  • एक राग का नाम

    विशेष
    . यह राग देवगांधार के मेल से बनता है। इसमें सातों स्वर लगते हैं और यह प्रातः काल गाया जाता है। इसका सरगम यह है—ध, नि, स, रि, ग, म, प, ध।

  • एक षाड़व राग

    विशेष
    . यह मंगलिक राग है और अद्भुत हास्य तथा करुण रस में इसका प्रयोग होता है। इसमें ऋषभ नहीं लगता। म, प, ध, नि, स, ग, म इसका सरगम है। इसमें प्रसन्न मध्यम अलंकार और काकली का संचार होना आवश्यक है। इसे केवल गांधार भी कहते हैं।

  • संगीत में सात स्वरों में तीसरा स्वर

    विशेष
    . इसकी दो श्रुतियाँ हैं- रौद्री और क्रोधा। इसकी जाति- वैश्य, वर्ण-सुनहला, देवता-सरस्वती, ऋषि-चंद्रमा, छंद त्रिष्टुभ, वार-मगल; ऋतु-वसंत और स्थान दोनों हाथ हैं। इसकी आकृति अग्नि की और संतान हिंडोल राग है। इसका अधिकार शाल्मली द्वीप में है। इसका प्रयोग करुण रस में होता है। नाभि से उठकर कंठ और शीर्ष में लगकर अनेक गंधों को ले जाने वाली वायु से इसकी उत्पत्ति होती है। यह स्वर बकरे की बोली से लिया गया है। इसके दो भेद होते हैं-शुद्ध और कोमल। इस स्वर का ग्रहस्वर बनाने से निम्न- लिखित प्रकार से स्वरग्राम होता है।-गांधार-स्वर। तीव्र मध्यम-ऋषभ। कोमल धैवत-गांधार। धैवत-मध्यम। निषाद-पंचम। कोमल ऋषभ-धैवत। कोमल गांधार-निषाद। कोमल गांधार को ग्रहस्वर बनाने से स्वरग्राम इस प्रकार होता है-गांधार कोमल-स्वर। मध्यम-ऋषभ। पंचम।-गांधार। कोमल धैवतमध्यम। कोमल निषाद- पंचम। स्वर-धैवत। ऋषभ-निषाद।

  • संपूर्ण जाति का एक राग

    विशेष
    . य़ह प्रातः काल 1 दंड से 5 दंड तक गाया जाता है। हनुमत के मत से यह भैरव राग का पुत्र है और किसी के मत से दीपक राग का पुत्र है।

  • एक संकर राग जो कई रागों और रागिनियों को मिलाकर बनाया जाता है
  • संगीत के तीन स्वरग्रामों में से एक

    विशेष
    . इसमें नंदा, विविशाखा, सुमुषी, विचित्रा, रोहिणी, सुषा और आलापिनी ये सात मूर्च्छनाएँ हैं और जिसका व्यवहार स्वर्गलोक में नारद द्वारा होता है। इसके अधिष्ठाता देवता शिव कहे गए हैं।

  • गंधरस नामक सुंगध द्रव्य
  • सिंदूर

विशेषण

  • गंधार देश में रहने या होने वाला
  • गंधार देश संबंधी, गंधार का

गांधार के यौगिक शब्द

संपूर्ण देखिए

गांधार के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • गांधार नामक एक प्राचीन देश विशेष
  • संगीत के सात स्वरों में से तीसरा स्वर

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