गद्य

गद्य के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

गद्य के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह लेख जिसमें मात्रा और वर्ण की संख्या और स्थान आदि आधार पर विराम या यति का कोई नियम या बंधन न हो, वार्तिक, वचनिका

    उदाहरण
    . साहित्य में गद्य और पद्य दोनों का ही अध्ययन आवश्यक है।

  • काव्य के दो भेदों में से एक जिसमें छंद और वृत्त का प्रतिबंध नहीं होता और बाक़ी रस, अलंकार आदि सब गुण होते हैं

    विशेष
    . अग्निपुराण में गद्य तीन प्रकार का माना गया है— चूर्णक, उत्कलिका और वृत्तगंधि। चूर्णक वह है जिसमें छोटे-छोटे समास हों, उत्कलिका वह है जिसमें बड़े-बड़े समस्त पद हों और वृत्तगंधि वह है जिसमें कहीं-कहीं पद्य का सा आभास हो। जैसे—हे बनवारी, कुंजविहारी, कृष्णमुरारी, यसोदानंदन हमारी विनती सुनो।' वामन ने भी अपने वामन-सूत्र में ये ही तीन भेद माने हैं। विश्वनाथ महापात्र ने साहित्यदर्पण में एक और भेद मुक्तक माना है जिसमें कोई समास नहीं होता। ये भेद तो पदयोजना या शैली के अनुसार हुए। साहित्यदर्पण के अनुसार गद्यकाव्य दो प्रकार का होता है—कथा और आख्यायिका। कथा वह है जिसमें सरस प्रसंग हो, सज्जनों और खलों के व्यवहार आदि का वर्णन हो और आरंभ में पद्यबद्ध नमस्कार हो। आख्यायिका में केवल इतनी विशेषता होती है कि उसमें कवि के वंश आदि का भी वर्णन होता है। गद्य के विषय में प्राचीनों के ये सब विवेचन आजकल उतने काम के नहीं हैं।

  • संगीत में शुद्ध राग का एक भेद
  • 'पद्य' का विलोम, नस्र, इबारत
  • ऐसी सीधी-सादी बोली या भाषा जिसमें किसी प्रकार की बनावट न हो
  • बनावट रहित सीधी सरल भाषा

विशेषण

  • बोलने, कहने या उच्चारण के योग्य

गद्य के विलोम शब्द

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गद्य के यौगिक शब्द

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गद्य के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • prose

गद्य के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • सहज प्रवाह का वह बोली जिसमें छन्द, अलंकार आदि का बंधन न हो

Noun

  • prose

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