गण

गण के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

गण के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • समूह , झुंड , जत्था
  • श्रेशी , जाति , कोटि
  • ऐसे मनुष्यों का समुदाय जिनमें किसी विषय में समानता हो
  • जैनशास्त्रानुसार एक स्थविर या आचार्य के शिष्य , महावीर स्वामी के शिष्य
  • वह स्थान जहाँ कोई स्थविर अपने शिष्यों को शिक्षा देता हुआ रहता हो
  • सेना का वह भाग जिसमें तीन गुल्म अर्थात् २७ हाथी, २७ रथ, ८१ घोड़े और १३५ पैदल हों
  • नक्षत्रों की तीन कोटियों में से एक

    विशेष
    . फलित ज्योतिप के अनुसार नक्षत्रों के तीन गण हैं—देव, मनुष्य और राक्षस । अश्विनी, रेवती, पुष्य, स्वाती, हस्त, पुनर्वसु, अनुराधा, मृगशिरा और श्रवण नक्षत्र देव गण हैं । पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, उत्तरा- षाढ़, उत्तरभाद्रपद, भरणी, आर्द्रा और रोहिणी मनुष्य गण हैं और शेष चित्रा, मघा, विशाखा, ज्येठा, अश्लेषा और कृत्तिका राक्षस गण हैं ।

  • छंदःशास्त्र में तीन वर्णों का समूह

    विशेष
    . लघु गुरु के क्रम के अनुसार गण ८ माने गए हैं, यथा— मगण—५५५ (गुरु गुरु गुरु) जैसे, माधो जू । यगण—१५५ (लघु गुरु गुरु) जैसे, सुनो रे । रगण—५१५ (गुरु लघु गुरु) ,, राम को । सगण—११५ (लघु लघु गुरु) ,, सुमिरौ । तगण—५५१ (गुरु गुरु लघु) ,, आवास । जगण—१५१ (लघु गुरु लघु) ,, विमान । भगण—५११ (गुरु लघु लघु) ,, कारण । नगण—१११ (लघु लघु लघु) ,, सुजन । इनके अतिरिक्त ५ मात्रिक गण भी होते हैं; यथा— टगण—६ मात्राओं का । ठगण—५,,   ,, डगण—४,,   ,, ढगण—३,,   ,, णगण—२,,   ,, पर इनका प्रयोग प्राचीन ग्रंथों में ही मिलता है । ९

  • पाणिनीय व्याकरण में धातुओं और शब्दों के वे समूह जिनमें समान लोप, आगम, वर्णविकारादि हों

    विशेष
    . ये दो प्रकार के हैं—एक धातु के गण, दूसरे शब्दों के । शब्दों के गण गणपाठ में है और धातुऔं के गण धातुपाठ में । धातुओं के प्रधान दस गण हैं—भ्वादि, अदादि, जुहोत्यादि या ह्वादि, दिवादि, स्वादि, तुदादि, रुधादि, तनादि क्रयादि, चुरादि ।

  • शिव के पारिषद , प्रमथ
  • दूत , सेवक , परिषद् , ड॰—गणन समेत सती तहँ गई , तासों दक्ष बात नहिं कही , —सूर (शब्द॰)
  • परिचारक वर्ग , अनुचरों का दल
  • पक्षपाती , अनुयायी , जैसे,—ये सब उन्हीं के गण हैं; इनसे सावधान रहना
  • चोवा नामक सुगंध द्रव्य
  • किसी विशेष कार्य के लिये संघटित समाज या संघ , जैसे,— व्यापारियों का गण, भिक्षुक, संन्यासियों का गण
  • शासन करनेवाली जाति के मुखियों का मंडल , जैसे—मालवों का गण, क्षुद्रकों का गण

    विशेष
    . प्राचीन काल में कहीं कहीं इस प्रकार के गणराज्य होते थे । मालवा में पहले मालवों का गणराज्य था जिनका संवत् पीछे विक्रम संवत् कहलाया ।

गण के अवधी अर्थ

गन

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सहायक, भेदिया

गण के ब्रज अर्थ

गन, गनु

पुल्लिंग

  • समुदाय , 2. जत्था, झुंड ; कोटि , वर्ग ; दूत ; सेवक , नौकर ; छंदशास्त्र में तीन अक्षरों का समूह

गण के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • दल, मण्डली, वर्ग

Noun

  • group, horde, multitude.

अन्य भारतीय भाषाओं में गण के समान शब्द

उर्दू अर्थ :

गिरोह - گروہ

पंजाबी अर्थ :

गण - ਗਣ

गुजराती अर्थ :

गण - ગણ

कोंकणी अर्थ :

पंगड

गण

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