garu.D meaning in hindi

गरुड़

  • स्रोत - संस्कृत

गरुड़ के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • विष्णु के वाहन जो पक्षियों के राजा माने जाते हैं

    विशेष
    . ये विनता के गर्भ से उत्पन्न कश्यप के पुत्र हैं। इनकी उत्पत्ति के विषय में यह कथा है एक बार कश्यप जी ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से यज्ञ का अनुष्ठान किया। उनके यज्ञ के लिए इंद्र, बालखिल्य तथा और देवता लकड़ी आदि सामग्री इकट्ठी करने लगे। इंद्र ने थोड़ी ही देर में लकड़ी का ढेर लगा दिया और अंगुष्ट भर के बालखिल्यों को पलाश की एक टहनी घसीटते देखकर वह उनकी हँसी करने लगा। इस पर बालखिल्यगण कुपित होकर कश्यप का पुत्र दूसरा इंद्र उत्पन्न करने के प्रयत्न में लगे। अंत में कश्यप ने उन्हें समझाकर शांत किया और कहा कि तुम जिसे उत्पन्न करना चाहते हो वह पक्षियों का इंद्र होगा। अंत में विनता के गर्भ से कश्यप ने अग्नि और सूर्य के समान गरुड़ और अरुण दो पुत्र उत्पन्न किए। गरुड़ विष्णु के वाहन हुए और अरुण सूर्य के सारथी। गरुड़ सर्पों के शत्रु समझे जाते हैं।

  • बहुतों के मत से उकाब पक्षी जो गिद्ध की तरह का और बहुत बलवान् होता है

    विशेष
    . इसकी चोंच की नोक कुछ मुड़ी होती है और इसके पैर पंजों तक छोटे-छोटे परों से ढके रहते हैं। यह अपने चंगुल में भेड़ बकरी के बच्चों तक को उठा ले जाता और खाता है। अपने बल के कारण यह पक्षिराज कहा जाता हैं। पश्चिम की प्राचीन जातियों में रोमक (रोमन) लोग उकाब को जो (प्रधान देवता इंद्र) का पक्षी मानते थे और उसे मंगल तथा विजय का चिह्न समझते थे। अब भी रूस, आस्ट्रेलिया और जर्मनी आदि देश उकाब का चिह्न ध्वजा आदि पर धारण करते हैं। इन सब बातों से संभव जान पड़ता है कि गरुड़ उकाब ही का नाम हो।

  • एक सफे़द रंग का बड़ा पक्षी जो पानी के किनारे रहता है

    विशेष
    . यह तीन साढ़े तीन फुट ऊँचा होता है और इसकी गर्दन सारस की तरह लंबी होती है जिसके नीचे एक थैली सी लटकती रहती है। यह मछलियाँ, केकड़े आदि पकड़कर खाता है। इसे पँड़वा ढेक भी कहते हैं।

  • सेना की एक प्रकार की व्यूहरचना, गरुड़व्यूह

    विशेष
    . इसमें अगला भाग नोकदार, मध्य का भाग विस्तृत पिछला भाग पतला होता है।

  • बीस प्रकार के प्रासादों में से एक

    विशेष
    . इसमें बीच का भाग चौड़ा तथा अगला और पिछला भाग नुकीला होता।

  • चौदहवें कल्प का नाम
  • जैन मत के अनुसार वर्तमान अवसर्पिणी के सोलहवें अर्हत् का गणधर
  • श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम
  • छप्पय छंद का एक भेद
  • नृत्य में एक प्रकार का स्थानक जिसमें बाएँ पैर को सिकोड़कर दाहिने पैर का घुटना ज़मीन पर टेकते हैं

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