गौड़ी

गौड़ी के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

गौड़ी के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक प्रकार की मदिरा जो गुड़ से बनती है , वैद्यक में इसे वात और पित्तनाशक, बल और कांतिवर्द्धक, दीपन, पथ्य और रुचिकर कहा है
  • काव्य में एक प्रकार की रीति या वृत्ति जिसे परुषा भी कहते हैं , यह ओजगुणप्रकाशक मानी जाती है और इसमें टवर्ग, संयुक्त अक्षर अथवा समास अधिक आते हैं; जैसे,—(क) कटकटहिं मर्कट विकट भट बहु कोटि कोटिन्ह धावहीं , —तुलसी (शब्द॰) , (ख) वक्र वक्र करि पुच्छ करि रुष्ट ऋच्छ कपि गुच्छ , सुभट ठट्ट धन धट्ठ सम मर्दहि रच्छन तुच्छ- (शब्द॰)
  • संपूर्ण जाति की एक रागिनी जो रात के पहले पहर में गाई जाती है

    विशेष
    . कुछ लोग इसे कल्याण राग का एक भेद मानते हैं । यह वीर और शृंगार रस के वर्णन के लिये बहुत उपयुक्त होती है ।

गौड़ी के गढ़वाली अर्थ

  • दे० गाय

  • गऊ, गाय

  • गायें
  • cow.

  • cows.

गौड़ी के ब्रज अर्थ

गौड़ी

स्त्रीलिंग

  • एक रागिनी

    उदाहरण
    . सारंग गौड़ी नट नारायन ।

गौड़ी के तुकांत शब्द

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