ho meaning in braj
हो' के ब्रज अर्थ
स्त्रीलिंग
- हंसने का शब्द
- वहाँ , उस ठौर
अकर्मक क्रिया
-
सत्ता, अस्तित्व सूचक क्रिया , उपस्थित या विद्यमान रहना , अस्तित्व मे आना
उदाहरण
. –ताकी प्रभुता जाति कही नहि ऐसी भई न होनी।
-
संबोधनात्मक अव्यय
उदाहरण
. जहाँ जहें सुमिरे हरि जिहि विधि, तहाँ तैसे उठि धाए हो।
पुल्लिंग
-
अशर्फी
उदाहरण
. पीरी पीरी होने तुम देत हो मंगाय हमैं ।
क्रिया-विशेषण
-
जोर देकर बुलाने का शब्द विशेष
उदाहरण
. हो हो हो हो होरी अति सुख प्रीति प्रगट भई।
अकर्मक क्रिया
-
होने का भूतकालिक रूप , हो
उदाहरण
. नई न करन कहत प्रभु तुम हो सदा गरीबनिवाज।
हो' के हिंदी अर्थ
हो
संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग
- पुकारने का शब्द या संबोधन
संस्कृत, हिंदी ; अकर्मक क्रिया
-
ब्रज की वर्तमानकालिक क्रिया 'है' का सामान्य भूत का रूप, था
उदाहरण
. दोउ सीँग बिच ह्वै हौँ आयौ जहाँ न कोऊ हो रखवैया । . पहिले हौँ ही हो तब एक । अमल, अकल, अज,भेद विवर्जिति सुनि बिधि बिमल बिवेक । -
सत्तार्थक क्रिया 'होना' के अन्य पुरुष संभाव्य काल तथा मध्यम पुरुष बहुवचन के वर्तमान काल का रूप, जैसे,—(क) शायद वह हो, (ख) तुम वहाँ हो
उदाहरण
. तू मेरो बालक हो नँदनंदन तोहि बिसंभर राखें ।
हो' के यौगिक शब्द
संपूर्ण देखिएहो' के कुमाउँनी अर्थ
हो
अव्यय
- किसी व्यक्ति को बुलाने के लिए प्रयोग में आने वाला संम्बो- धनात्मक अव्यय
हो' के बुंदेली अर्थ
हो
-
पुकारने या किसी का ध्यान आकृष्ट करने का संकेत,
उदाहरण
. प्र. काए हो मोहन।
हो' के मगही अर्थ
हो
अव्यय
- संबोधन सूचक शब्द (निम्नवर्ग)
हो के तुकांत शब्द
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