ज के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

ज के हिंदी अर्थ

संज्ञा

  • हिंदी वरणमाला में चवर्ग के अंतर्गत एक व्यंजन वर्ण, यह स्पर्श वर्ण है और चवर्ग का तीसरा अक्षर है, इसका बाह्म प्रयत्न संवार और नाद घोष है, यह अल्पप्राण माना जाता है, 'झ' इस वर्ण का महाप्राण है, 'च' के समान ही इसका उच्चारण तालु से होता है
  • हिंदी वर्णमाला का आठवाँ और चवर्ग का तीसरा व्यंजन अक्षर

    उदाहरण
    . ज को छंदशास्त्र में जगण का सूचक तथा संक्षिप्त रूप माना जाता है ।


संज्ञा, पुल्लिंग

  • मृत्युंजय
  • जन्म
  • पिता
  • विष्णु
  • विष
  • भुक्ति
  • तेज
  • पिशाच ९
  • वंन
  • छंदशास्त्रानुसार एक गण जो तीन अक्षरों का होता है , जगनण

    विशेष
    . इसके आदि और अंत के वर्ण लघु और मध्य का वर्ण गुरु होता है । () । जैसे, महेश, रमेश, सुरेश आदि । इस का देवता साँप और फल रोग माना गया है ।


विशेषण

  • वेगवान, वेगित, तेज
  • जीतनैवाला, जेता

प्रत्यय

  • उत्पन्न , जात , जैसे,—देशज, पित्तज, वातज, आदि

    विशेष
    . वह प्रत्यय मायः तत्पुरुष समास के पदों के अंत में आता है । पंचमी तत्पुरुष आदि में पंचम्यंत पदों की विभक्ति लुप्त हो जाती है, जँसे, पादज, द्विज इत्यादि । पर सप्तमी तत्पुरुष में ' 'शरत्', 'काल' और इन चार शब्दों के अतिरिक्त , जहाँ विभक्ति बनी रहती है (जैसे, प्रावृषिज, शरदिज, कालेज, दिविज) शेष स्थलों में विभक्ति का लोप विवक्षित होता है, जैसे, मनसिज, मनोज, सरसिज, सरोज इत्यादि ।


अव्यय

  • पादपूर्ति के लिये प्रयुक्त

    उदाहरण
    . चंद्र सूर्य का गम नहीं जहाँ ज दर्शन पावै दास ।

ज के यौगिक शब्द

संपूर्ण देखिए

ज के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun

  • the third letter of the second pentad (i.e. चवर्ग) of the Devna:gri: alphabet
  • a suffix denoting the sense of born of (as जलज, अंडज, वातज, etc.)

ज के अंगिका अर्थ

ज:

  • हैय अंगिका वर्णमाला में स्पर्श व्यंजन केरों अंर्तगत चवर्ग केरों तेसरों वर्ण छेकय । हेकरों उच्चारण स्थान तालु छै

ज के कन्नौजी अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला के 'च' वर्ग का तीसरा वर्ण. इसका उच्चारण-स्थान तालु है

ज के कुमाउँनी अर्थ

विशेषण

  • जनित, पैदा हुआ; समासान्त में जुड़ने पर संतति, उदा- वंशज, कुलज
  • उत्पन्न, जनित, किसी नाम, स्थान के शब्द के अन्त में प्रत्यय की भाँति लगने पर अपत्य वाचक शब्द यथा-वशज, पंकज, जलज

ज के गढ़वाली अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला का आठवां व्यंजन वर्ण

क्रिया

  • 'जाना' क्रिया का आज्ञावाचक रूप, जाओ
  • अच्छा तो जाओ
  • the eighth consonant of Devanagari alphabet.

verb

  • imperative form of verb 'go', please go, (do) go.

    उदाहरण
    . ज त, जा त, जौ त, जाओ तो

ज के बुंदेली अर्थ

  • हिन्दी वर्णमाला देवनागरी लिपि के च वर्ग का तृतीय व्यंजन, वर्ण, इसका उच्चारण स्थान तालु है

ज के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • जन्म ; मृत्युंजय ; विष्णु ; वेग ; छंद विशेष
  • नागरी वर्णमाला में च वर्ग का तृतीय व्यंजन

विशेषण

  • बेगवान , तेज ; विजेता

ज के मैथिली अर्थ

  • वर्णमालाक आठम व्यञ्जन
  • 8th consonant of alphabet.

ज के मालवी अर्थ

  • मालवी एवं देवनागरी में च वर्ग का अक्षर।

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