jaaraj-yog meaning in hindi
जारज-योग के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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फलित ज्योतिष में किसी बालक के जन्मकाल में पड़ने वाला एक प्रकार का योग जिससे यह सिद्धांत निकाला जाता है कि वह बालक अपने असली पिता के वीर्य से नहीं उत्पन्न हुआ है, बल्कि अपनी माता के जार या उपपति के वीर्य से उत्पन्न है
विशेष
. बालक की जन्मकुंडली में यदि लग्न या चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि न हो अथवा सूर्य के साथ चंद्रमा युक्त न हो और पापयुक्त चंद्रमा के साथ सूर्य युक्त हो तो यह योग माना जाता है। द्वितिया, सप्तमी और द्वादशी तिथि में रवि, शनि या मंगलवार के दिन यदि कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा और पूर्वाभाद्रपद में से कोई एक नक्षत्र हो तो भी जारज योग होता है। इसके अतिरिक्त इन अवस्थाओं में कुछ अपवाद भी हैं जिनकी उपस्थिति में जारज योग होने पर भी बालक जारज नहीं माना जाता।उदाहरण
. चित पितमारन जोगु गनि भयो भएँ सुत सोगु। फिरि हुलस्यौ जिय जोइसी समझै जारज जोगु।
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