जगन्नाथ

जगन्नाथ के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

जगन्नाथ के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ईश्वर, उड़ीसा राज्य के अन्तर्गत पुरी नामक स्थान पर विष्णु की एक मूर्ति का नाम

जगन्नाथ के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • जगत् का नाथ, ईश्वर
  • धर्मग्रंथों द्वारा मान्य वह सर्वोच्च सत्ता जिसे सृष्टि का स्वामी माना जाता है, विष्णु

    उदाहरण
    . भगवान जगन्नाथ कृष्ण का ही एक रूप है।

  • विष्णु की एक प्रसिद्ध मूर्ति जो उड़ीसा के अंतर्गत पुरी नामक स्थान में स्थापित है

    विशेष
    . यह मूर्ति अकेली नहीं रहती, बल्कि इसके साथ सुभद्रा और बलभद्र की भी मूतियाँ रहती हैं। तीनों मूर्तियाँ चंदन की होती है। समय-समय पर पुरानी मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है और उनके स्थान पर नई मूर्तियाँ प्रतिष्ठित की जाती हैं। सर्वसाधारण इस मूर्ति बदलने को 'नवकलेवर' या 'कलेवर बदलना' कहते है। साधारणतः लोगों का विश्वास है कि प्रति बारहवें वर्ष जगन्नाथ जो का कलेवर बदलता है। पर पंडितों का मत है कि जब आषाढ़ में मलसास और दो पूर्णिमाएँ हों, तब कलेवर बदलता है। कूर्म, भविष्य, ब्रह्मवैवर्त, नृसिंह, अग्नि, ब्रह्म और पद्म आदि पुराणों में जगन्नाथ की मूर्ति और तीर्थ के संबंध में बहुत से कथानक और माहात्म्य दिए गए हैं। इतिहासों से पता चलता है कि सन् 318 ई॰ में जगन्नाथ जी की मूर्ति पहले पहल किसी जंगल में पाई गई थी। उसी मूर्ति को उड़ीसा के राजा ययाति- केसरी ने, जो सन् 474 में सिंहासन पर बैठा था, जंगल से ढूँढ़कर पुरी में स्थापित किया था । जगन्नाथ जी का वर्तमान भव्य ओक विशाल मंदिर गंगवंश के पाँचवें राजा भीमदेव ने सन् 1148 से सन् 1168 तक में बनवाया था । सन् 1568 में प्रसिद्ध मुसलमान सेनापति काला पहाड़ ने उड़ीसा को जीतकर जगन्नाथ जी की मूर्ति आग में फेंक दी थी। जगन्नाथ और बलराम की आजकल की मूर्तियों में पैर बिलकुल नहीं होते और हाथ बिना पंजों के होते हैं। सुभद्रा की मूर्तियों में न हाथ होते हैं और न पैर। अनुमान किया जाता है कि या तो आरंभ में जंगल में ही ये मूर्तियाँ इसी रूप में मिली हों और या सन् 1538 ई॰ में अग्नि में से निकाले जाने पर इस रूप में पाई गई हो। नए कलेवर में मूर्तियाँ पुराने आदर्श पर ही बनती हैं। इन मूर्तियों को अधिकांश भात और खिचड़ी काही भोग लगता है जिसे महाप्रसाद कहते हैं। भोग लगा हुआ महाप्रसाद चारो वर्णों के लोग बिना स्पर्शास्पर्श का विचार किए ग्रहण करते हैं। महाप्रसाद का भात 'अटका' कहलाता है, जिसे यात्री लोग अपने साथ अपने निवासस्थान तक ले जाते और अपने संबंधियों में प्रासाद स्वरूप बाँटते हैं। जगन्नाथ को जगदीश भी कहते हैं।

  • बंगाल के दक्षिण उड़ीसा के अंतर्गत समुद्र के किनारे का प्रसिद्ध तीर्थ जो हिंदुओं के चारों धामों के अंतर्गत है

    विशेष
    . इसे पुरी, जगदीशपुरी, जगन्नाथपुरी, जगन्नाथ क्षेत्र और जगन्नाथ धाम भी कहते हैं। अधिकांश पुराणों में इस क्षेत्र को पुरुषोत्तम क्षेत्र कहा गया है। जगन्नाथ जी का प्रसिदूध मंदिर यहीं है। इस क्षेत्र में जानेवाले यात्रियों में जातिभेद आदि बिलकुल नहीं रह जाता। पुरी में समय-समय पर अनेक उत्सव होते हैं जिनमें से 'रथयात्रा' और 'नवकलेवर' के उत्सव बहुत प्रसिद्ध हैं। उन अवसरों पर यहाँ लाखों यात्री आते हैं। यहाँ और भी कई छोटे बड़े तीर्थ हैं।

  • सत्रहवीं शताब्दी के दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध काव्यशास्त्री

    उदाहरण
    . रसगंगाध आचार्य जगन्नाथ जी का काव्यशास्त्र पर अत्यन्त विद्वत्तापूर्ण लिखा हुआ प्रौढ़ ग्रंथ है।

जगन्नाथ के अंगिका अर्थ

क्रिया

  • संसार का स्वामी, विष्णु की प्रसिद्ध मूर्ति

जगन्नाथ के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • परमेश्वर, विष्णु. 2. पुरी में स्थापित विष्णुमूर्ति. 3. जगन्नाथपुरी, जगन्नाथ धाम, जगन्नाथ तीर्थ

जगन्नाथ के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • परमेश्वर, पुरी (उड़ीसा) में स्थापित विष्णु मूर्ति, अंग्रेजी में—'जग्गरनौट' का अर्थ है कोई विनाशकारी ऐसी शक्ति जो भक्ति या बलिदान से प्राप्त की जाये और सब कुछ जगन्नाथ के रथ के पत्थर के पहियों के नीचे कुचल कर नष्ट हो जाये

विशेषण

  • अपना हाप जगन्नाथ में सबसे अच्छा जो किसी के छूने से अपवित्र न हो, जिसे सभी ग्रहण कर सकें

जगन्नाथ के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • संसार के स्वामी, ईश्वर विष्णु; उड़ीसा प्रदेश में पुरी नामक स्थान पर स्थित जगन्नाथ मंदिर में श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा की मूर्ति स्थापित हैं

Noun, Masculine

  • Lord of the universe, the famous idol of Lord Krishna, Balram & their sisiter Subhadra are in the Jagannath temple of Puri in Orissa.

जगन्नाथ के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पुरी के लोक प्रसिद्ध देव

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