जव

जव के अर्थ :

  • अथवा - जौ

जव के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • जौं का अन्न, यव, रबी की फसल का एक अनाज (यव)

जव के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • barley

जव के हिंदी अर्थ

जौ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • चार पाँच महीने रहनेवाला एक पौधा जिसके बीज या दाने की गिनती अनाजों में है

    विशेष
    . यह पौधा पृथ्वी के प्राय: समस्त उष्ण तथा समप्रकृतिस्थ स्थानों में होता है । भारत का यह एक प्राचीन धान्य और हविष्यान्न है । भारतवर्ष में यह मैदानों के अतिरिक्त प्राय: पहाड़ों पर भी १४००० फुट की उँचाई तक होता है । इसकी बोआई कार्तिक अगहन में होती है और कटाई फागुन चैत में होती है । इसका पौधा बहुत कुछ गेहूँ का सा होता है । अंतर इतना होता है कि इसमें जड़ के पास से बहुत से डंठल निकलते है जिन्हें कभी कभी छाँटकर अलग करना पड़ता है । इसमें टूँड़दार वाल लगती है जिसमें कोश के साथ बिलकुल चिपके हुए दाने पंक्तियों में गुछे रहते हैं । दानों के ऊपर का नुकीला कोश कठिनाई से अलग होता है, इसी से यह अनाज कोश सहित बिकता है, पर काशमीर में एक प्रकार का जौ ग्रिम नाम का होता है जिसके दाने गेहूँ की तरह कोश से अलग रहते हैं । गेहूँ के समान जो के या जौ की गूरी के भी आटे का व्यवहार होता हैं । भूसी रहित जौ या उसके मैदा का प्रयोग रोगियों के लिये पथ्य के काम आता है । सूखे हुए पौधे का भूसा होता है जो चौपायों को प्रिय, लाभकर है और उनके के खाने के काम में आता है । यूरोप में और अब भारतवर्ष के भी कई स्थानों में जौ से एक प्रकार की शराब बनाई जाती है । जौ कई प्रकार के होते है । इस अन्न को मनुष्य जाति अत्यंत प्राचीन काल से जानती है । वेदों में इसका उल्लेख बराबर है । अब भी हवन आदि में इस अन्न का व्यवहार होता है । ईसा से २७०० वर्ष पहले चीन के बादशाह शिनंद ने जिन पाँच अन्नों को बोआया था उनमें एक जौ भी था । ईसा से १०१५ वर्ष पहले सुलेमान बादशाह के समय में भी जौ का प्रचार खूब था । मध्य एशिया के करडँग नामक स्थान के खँडहर के नीचे दबे हुए जौ स्टीन साहब को मिले थे । इस खँड़हर के स्थान पर सातवीं शताब्दी में एक अच्छा नगर था जो बालु में दब गया । वैद्यक में जो तीन प्रकार के माने गए हैं—शूक, निःशूक और हरित वर्ण । शूक को अव, नि:शूक को अतियव और हरे रंग के यव को स्तोक्य कहते हैं । जो शीतल, रूखा, वीर्यवर्धक, मलरोधक तथा पित्त और कफ को दूर करनेवाला माना जाता है । यव से अतियव और अतियव से स्तोक्य (घोड़जई भी) हीन गुणवाला माना जाता है ।

  • एक पौधा जिसकी लचीली टहनियों से पंजाब में टोकरे झाड़ु आदि बनते हैं , मध्य एशिया के प्राचीन खँड़हरों में मकान के परदों के रूप में इसकी टट्टियाँ पाई गई हैं
  • गेहूँ की तरह का एक अनाज जिसके आटे में चोकर अधिक निकलता है

    उदाहरण
    . सीता भुने हुए जौ और चने को पीस रही है ।

  • एक तौल जो ६ राई (खरदल) के बराबर मानी जाती है
  • गेहूँ की तरह का एक अनाज जिसके आटे में चोकर अधिक निकलता है
  • गेहूँ की तरह का एक पौधा जिसके दानों का आटा बनता है
  • गेहूँ की तरह का एक पौधा जिसके दानों का आटा बनता है

    उदाहरण
    . श्यामू खेत में जौ की सिंचाई कर रहा है ।

  • छः राई की एक तौल

    उदाहरण
    . मेरे नाक की फूली का वजन एक जौ है ।

  • छः राई की एक तौल
  • गेहूँ की तरह का एक प्रसिद्ध खाद्यान्न जिसका आटा बनाकर उपयोग किया जाता है
  • यज्ञ तथा अन्य कर्मकांडों में प्रयोग किया जाने वाला हविष्यान्न; यव
  • छह राई की मात्रा या तौल
  • एक पौधा जिससे टोकरियाँ बनाई जाती हैं
  • एक प्रसिद्ध अनाज; जौ
  • अंतरिक्ष
  • ज़मीन और आसमान के बीच की जगह; क्षितिज
  • वेग; तेज़ी; फुरती
  • उक्त पौधे का दाना या बीज जो गेहूँ के दाने की अपेक्षा कुछ बड़ा तथा लंबोतरा होता है
  • एक प्रसिद्ध पौधा जि पीसकर बनाया हुआ चूर्ण रोटी बनाने के काम आता है, विशेष-यह पौधा गेहूँ के पौधे से बहुत-कुछ मिलता-जुलता होता है

संस्कृत ; अव्यय

  • यदि, अगर

    उदाहरण
    . जौ लरिका कछु अनुचित करहीं । गुरु पितु मातु मोद मन भरहीं ।


हिंदी ; क्रिया-विशेषण

  • जब

जव से संबंधित मुहावरे

जव के अंगिका अर्थ

जौ

अव्यय

  • गेहू की तरह, अन्न यव, जब यदि

जव के अवधी अर्थ

जौ

संज्ञा

  • अन्न विशेष

जव के कन्नौजी अर्थ

जौ

अव्यय

  • जो, यदि, अगर. 2. जब

जव के गढ़वाली अर्थ

जौ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • गेहूँ की प्रजाति का एक पौधा और उसका अनाज

विशेषण

  • जाये, जावे, जाता है, जाओ
  • मुरबत करने वाले का घर बरबाद हो जाता है

Noun, Masculine

  • barley. Hordeum vulgare.

Adjective

  • to go, may go.

    उदाहरण
    . मोलाजे मौ, ढुंगा मां जौ

जव के बुंदेली अर्थ

जौ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • जवा, वह,

जव के ब्रज अर्थ

जौ

पुल्लिंग

  • जव , धान्य विशेष

पुल्लिंग

  • वेग , तेजी ; जल्दी , शीघ्रता

    उदाहरण
    . अवलंबत रख जव चपल, रहसि रय त्वर वाज ।

जव के मगही अर्थ

जौ

अरबी ; संज्ञा

  • गेहूं की जाति का मोटे छिलके तथा दोनों ओर सूंग वाला एक अन्न; उस अन्न का पौधा; छ: राई की बराबर की तौल जो सोना-चांदी तौलने के लिए पहले प्रचलित था

जव के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • जौ (अन्न), यव।

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