काँजी

काँजी के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत
  • अथवा - कांजी
  • देखिए - हलुआ

काँजी के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक प्रकार का खट्टा रस जो कई प्रकार से बनाया जाता है और जिसमें अचार और बड़े आदि भी पड़ते हैं, ऊख के रस (सिरका) में नमक राई आदि डालकर तैयार किया जाने वाला एक प्रसिद्ध पेय पदार्थ जो स्वाद में खट्टा होता है
  • मठ्ठे या दही का पानी, फटे हुए दूध का पानी, छाँछ

    उदाहरण
    . भरतहिं होइ न राजमद, बिधि हरिहर पद पाइ। कबहुँ कि काँजी सीकरनि छोरसिंधु बिनसाइ। . बिरचि मन बहुरी राचो आइ। टुटी जुरै बहूत जतननि करि तऊ दोष नहिं जाइ। करट हेतु की प्रीति निरंतर नोथि चोखाई गाइ। दूध फाटि जैसे भइ काँजी कौन स्वाद करि खाइ।

  • कै़दखाने में वह कोठरी जहाँ क़ैदियों को माँड खिलाया जाता है

काँजी के अंगिका अर्थ

कांजी

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक प्रकार का खट्टा किया हुआ जल

काँजी के अवधी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • पानी में डालकर कुछ फलों या गाजर आदि के टुकड़ों से बनी खटाई जो पाचक रूप से पी जाती है, खटाई

    उदाहरण
    . दूध दही ते जमत है, काँजी ते फटि जाय।

काँजी के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • राई के घोल, सिरके आदि में जीरा, नमक आदि डालकर बनाया जाने वाला एक खट्टा पेय जो स्वादिष्ट एवं पाचक होता है

काँजी के कुमाउँनी अर्थ

काँजि, कँजी

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक प्रकार का खट्टा रस जो कई प्रकार से बनाया जाता है जिसमें अचार व बड़े आदि पड़ते हैं

काँजी के ब्रज अर्थ

कांजी

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक प्रकार का खट्टा रस जो कई प्रकार से बनाया जाता है जिसमें अचार और बड़े आदि पड़ते हैं

    उदाहरण
    . पावक तें पारो काँजी छिपे ह विचारौ छीर ।

  • मट्ठा या दही

काँजी के मैथिली अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • देखिए: हलुआ

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