kaka.Dhii meaning in braj
ककड़ी के ब्रज अर्थ
स्त्रीलिंग
-
ककड़ी , एक प्रकार का लम्बा फल जो फैलने वाली बेल में लगता है
उदाहरण
. ककरी कचरी अरु कचनार्यो।
ककड़ी के हिंदी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
-
जमीन पर फैलनेवाली एक बेल जिसमें लंबे लंबे फल लगते हैं
विशेष
. विशेष — यह फागुन चैत में बोई जाती है ओर बैसाख जेठ में फलती है । फल लंबा और पतला होता है । इसका फल कच्चा तो बहुत खाया जाता है, पर तरकारी के काम में भी आता है । लखनऊ की ककड़ियाँ बहुत नरम, पतली और मिठी होती हैं । २ -
ज्वार या मक्के के खेत में फैलनेवाली एक बेल जिसमें लंबे लंबे और बड़े फल लगते हैं
विशेष
. ये फल भादों में पककर आपसे आप फूट जाते हैं, इसी से 'फूट' कहलाते हैं । ये खरबूजे ही की तरह होते हैं, पर स्वाद में फिके होते हैं । मीठा मिलाने से इनका स्वाद बन जाता है ।
ककड़ी के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएककड़ी के यौगिक शब्द
संपूर्ण देखिएककड़ी से संबंधित मुहावरे
ककड़ी के अंगिका अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- लत्तीदार पौधों में लगा एक लम्बा फल
ककड़ी के कन्नौजी अर्थ
- गरमी और बरसात में होने वाली एक बेल, जिसका फल खाया जाता है
ककड़ी के मगही अर्थ
संज्ञा
- दे. 'कँकड़ी'
ककड़ी के तुकांत शब्द
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