ककहरा

ककहरा के अर्थ :

  • स्रोत - हिंदी

ककहरा के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • क से इ तक वर्णमाला , बरतनिया

    विशेष
    . बालकों को पढ़ाने के लिये एक प्रकार की कविता होती है जिसके प्रत्येक चरण आदि में प्रत्येक वर्ण क्रम से आता है । ऐसी कविताओं में प्रत्येक वर्ण दो बार रखा जाता है, जैसे— क का कमल किरन में पावै । ख खा चाहै खोरि मनावै ।—कबीर (शब्द॰) ।

ककहरा के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • क से ह तक अक्षर, वर्ण समूह

ककहरा के अवधी अर्थ

संज्ञा

  • 'क' से 'ह' तक के अक्षर; हिंदी वर्णमाला पढ़ब

ककहरा के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • क, ख, ग आदि वर्णमाला

ककहरा के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • क से ह तक वर्णमाला

ककहरा के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • 'क' से 'ह' तक की वर्णमाला, व्यंजन वर्ण
  • किसी विषय की आरम्भिक बातें

ककहरा के मगही अर्थ

संज्ञा

  • 'क' से 'ह' तक के व्यंजन वर्ण

ककहरा के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • वर्णमाला

Noun

  • alphabet.

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