kakubh meaning in braj
ककुभ के ब्रज अर्थ
- एक राग विशेष ; सोलह और चौदह के विराम से तीस मात्राओं वाला छंद विशेष
पुल्लिंग
- वीणा का झुका हुआ भाग
-
अर्जुन नामक वृक्ष ; राग-विशेष ; पूर्वादि दिशाएँ
उदाहरण
. सपत नगेस आठौं ककुभ गजेस कोल कच्छप नगेस धरै धरनि अखंड कौं ।
ककुभ के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- अर्जुन का पेड़
-
वीणा का एक अंग , वीणा के ऊपर का वह अंग जो मुड़ा रहता है , प्रसेक्क
विशेष
. विशेष — कोई कोई नीचे के तूबे को भी ककुभ कहते हैं । ३ - एक राग
- एक छंद जो तीन पदों का होता है , इसके पहले पद में ८, दूसरे में १२ और तीसरे में १८ वर्ण होते हैं
- दिशा
- कुटज फूल (को॰) , ७ दैत्यों के एक राजा का नाम [को॰]
ककुभ के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएककुभ के तुकांत शब्द
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