kariil meaning in awadhi
करील के अवधी अर्थ
संज्ञा
- एक जंगली पेड़ जो ब्रज में बहुत होता है और जिसका ब्रज-काव्य में प्रायः वर्णन है
करील के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
ऊसर और कँकरीली भूमि में होनेवाली एक कँटीली झाड़ी
विशेष
. इस झाड़ी में पत्तियाँ नहीं होतीं, केवल गहरे हरे रंग की पतली पतली बहुत सी डंठलें फूटती है । राजपुताने और ब्रज में करील बहुत होते हैं । फागुन चैत में इसमें गुलाबी रंग के फूल लगते हैं । फूलों के झड जाने पर गोल गोल फल लगते हैं जिन्हें हेटी या कचड़ा कहते हैं । ये स्वाद में कसैले होते हैं और इनका अचार पड़ता है । करील के हीर की लकड़ी बहुत मजबूत होती है और इससे कई तरह के हलके असबाब बनते हैं । रेशे से रस्सियाँ बटी जाती हैं और जाल बुने जाते हैं । वैद्यक में कचड़ा गर्म, रूखा, पसीना लानेवाला, कफ, श्वास, वात, शूल, सूजन, खुजली और आँव को दूर करनेवाला माना गया है ।उदाहरण
. दीष बसंत को दीजै कहा उलही न करील की डारन पाती । . केतिक ये कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारों ।
करील के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएकरील के कन्नौजी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- एक कँटीली झाड़, जिसमें पत्ते नहीं होते. इसके फल छोटे गोल होते हैं, जिनका अचार बनाया जाता है. इसमें कपड़े आदि उलझ जायें, तो निकालना कठिन हो जाता है
करील के बुंदेली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
टेंटी का पेड़ या उसके फूल, जिसका अचार बनाया जाता है
उदाहरण
. उदा. काबुल में मेवा दियो ब्रज में दियो करील।
करील के ब्रज अर्थ
पुल्लिंग
-
टेंटी का वृक्ष , यह एक कटीली झाड़ी होती है, जिसमें पत्ते नहीं होते
उदाहरण
. क्यौं करील फल भावै। - कोपल , नया कल्ला
करील के मैथिली अर्थ
संज्ञा, आलंकारिक
- एक वृक्ष
Noun, Classical
- a tree; Capparis aphylla.
करील के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिए
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