करण

करण के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

करण के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • कान
  • एक उपनाम
  • कायस्थ.
  • त्रिभुजमे समकोणक सम्मुखस्थ भुजा

Noun

  • ear.
  • a surname mainly of Maithil
  • hypotenuse.

करण के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • कान , श्रवणोंद्रिय
  • कुंती का सब सेट बड़ा पुत्र , विशेष—यह कन्याकाल में सुर्य से उत्पन्न हुआ था, इसी से कानीन भी कहलाता था
  • —राधेय , वसुषेण अर्कनंदन , घटोत्कचाँतक , चांपेश , सुतपुत्र
  • सुवर्णालि वृक्ष
  • नाव की पतवार
  • समकोण त्रिभुज में समकोण के सामने के कोणों को मिलानेवाली रेखा
  • किसी चतुर्भुज मेम आमने सामने के कोणों को मिलानेवाली रेखा
  • पिंगल में डगण अर्थात् चार मात्रावाले गणों की संज्ञा , जैसे, —ऽऽ— माधो
  • छप्पय के चौथे भेद का नाम , इसमें ६७ गुरु, १८ लघु, वर्ण और १५२ मात्राएँ होती हैं , परंतु जिसमें उल्लाला २६ मात्राओं का होता है, उस छप्पय में ६७ गुरु, १४ लघु, ८१ वर्ण और १४८ मात्राएँ होती हैं ९
  • दो की संख्या (काव्य॰) , १० उपदिग्भाग , दो दिशाओं का मध्यवर्ती कोण या भाग (को॰)
  • किसी पात्र या बर्तन का हत्था या कुंडा (को॰)

करण के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

करण के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पौराणिक योद्धा, कुंती पुत्र कर्ण, सूर्य-पुत्र कर्ण

Noun, Masculine

  • a brave warrior of Mahabharat fame, son of Sun god & Kunti.

करण के ब्रज अर्थ

कर्ण

पुल्लिंग

  • कान , श्रवणेन्द्रिय
  • कुन्ती का सबसे बडा पुत्र; पतवार, ४ गणित में वह रेखा जो किसी चतुर्भुज के आमने-सामने के कोणों को मिलाती हो; पिंगल में चार मात्रा वाले गणों की संख्या; छप्पय का एक भेद विशेष

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