kauDii meaning in maithili
कौड़ी के मैथिली अर्थ
संज्ञा
- एक जलजन्तुक कङ्काल जे पूर्वमे विनिमय-माध्यम छल
Noun
- cowrie, shell of a snail used formerly as medium of exchange See T.VIII.
कौड़ी के अँग्रेज़ी अर्थ
Noun, Feminine
- a cowrie,—small shell
कौड़ी के हिंदी अर्थ
कवड़ी
संस्कृत ; संज्ञा, स्त्रीलिंग
- शंख की तरह का एक समुद्री कीड़ा जो अस्थिकोश में रहता है
- उक्त अस्थिकोश जो प्राचीन काल में सबसे छोटे सिक्के के रूप में प्रचलित था
- छाती के बीचोंबीच की एक छोटी हड्डी जिसपर पसलियाँ आकर मिलती हैं
- {ला-अ.} द्रव्य; धन; रुपया
-
घोंघे की तरह के एक समुद्री कीड़े का कड़ा अस्थि आवरण
उदाहरण
. कौड़ी से तरह-तरह के आभूषण और सजावट की चीज़ें बनती हैं । -
घोंघे की तरह का एक समुद्री कीड़ा जो एक अस्थिकोश के भीतर रहता है
उदाहरण
. चीनी कौड़ी उबाल कर खाते हैं । -
पुराने जमाने में वस्तु-विनिमय के लिए प्रयुक्त बहुत कम मूल्य की मुद्रा जो एक समुद्री कीड़े का कड़ा अस्थि आवरण होता है
उदाहरण
. आठ कौड़ियों का एक पण होता था । -
बहुत कम पैसा
उदाहरण
. मेरे पास एक कौड़ी भी नहीं है । - गोल छोटी गाँठ जो शरीर के भीतर संधि-स्थान जैसे जाँघ, काँख आदि पर होती है
- आँख में का वह सफेद उभरा हुआ भाग जिसमें पुतली रहती है
-
समुद्र का एक कीडा जो घोघे की तरह एक अस्थिकोष के अंदर रहता है , वराटिका
विशेष
. यह अस्थिकोश उभडा हुआ और चमकीला होता है तथा इसके नीचे बडा लंबा पतला छेद हैता है, जिसके दोनों किनारे पर दाँत होते हैं । खुले मुँह को आवश्यकतानुसार बंद करने के लिये उसपर ढक्कन नहीं होता । छेद के बाहर इसका सिर रहता है, जिसमें दो कोने निकले रहते हैं जो स्पर्शद्रिय का काम देते हैं । कौडिया भारत महासागर में लंका, मलाया, स्याम, सिंहल मालद्वीप आदि के पास इकट्ठी की जाती हैं । राजनिघंटु में कौडियाँ पाँच प्रकार की बतलाई गई हैं— ( क) सिंही, जो सुनहले रंग की होती है । (ख) व्याघ्री जो धुमले रंग की होती है (ग) मृगो, जिसकी पीठ पीली और पेट सफेद हैता है (घ) हँसी जो बिलकुल सफेद होती है । और (च) विंदता, जो बहुत बडी नहीं होती । द्रव्य रुप में कौडी का व्यवहार भारत जीन आदि तेशों में बहुत प्राचीन काल से होता रहा है । वाजयसनेपी संहिता में इसका उल्लेख आया है । भास्कराचार्य ने लिलावती में इसके मुल्य का विवरण दिया है । पैसे के आधे को अधेला, चौथाई को टुकडा या छदाम और अष्टमाँश को दमडी कहते थे । एक पैसे में प्राय: ८० कौडियां या २५ दाम माने जाते थे । ३ - (पुरुष के) अंडकोष की वह ग्रंथि जिसमें से शुक्राणु निसृत होते हैं
- दाम की एक दमडी , छ दाम का एक टुकडा और १२ , , दाम का एक अधेला माना जाता था , पर्या॰— कपर्दिका , वराटिका
- उक्त कीड़े का अस्थिकोश जो सबसे कम मूल्य के सिक्के के रूप में चलता था। मुहा०-कौड़ी का हो जाना = (क) मान-मर्यादा जाते रहना। (ख) परम निर्धन या हीन हो जाना। कौड़ी के तीन होना = बहुत ही तुच्छ या हीन होना, कौड़ी के मोल बिकना = बहुत सस्ता बिकना, कौड़ी को न पूछना = फालतू या बेकार समझकर मुफ्त में भी न लेना, कौड़ी-कौड़ी अदा करना, चुकाना या भरना = लिया हुआ ऋण पूरा-पूरा वापस लौटाना, एक कौड़ी भी बाकी न रखना, कौड़ी-कौड़ी जोड़ना = बहुत कष्ट और परिश्रम से धन इकट्ठा करना, कौड़ी फेरा करना या लगाना जल्दी-जल्दी और बार बार आते-जाते रहना, पद-कौड़ी का = जिसका कुछ भी मूल्य न हो, परम तुच्छ, जैसे- यह कपड़ा कौड़ी काम का नहीं है, कौड़ी-कौड़ी को मुहताज परम दरिद्र या निर्धन
-
धन , द्रव्य , रुपया पैसा
उदाहरण
. ब्रह्मज्ञान बिनु नारी नर कहहिं न दूसरि बात । कौडी लागि लोभबस, करहिं बिप्र गुरु घात । - घोंघे की तरह का एक समुद्री कीड़ा, जो अस्थिकोश में रहता है
- वह कर जो सम्राट् अपने अधीन राजाओं से लेता हैं
- आँख का डेला
- छाती के नीचे बीचोबीच की वह हड्डी जिसपर सबसे निचे की दोनों पसलियाँ मिलती है
- जंघे , काँख या गले की गिलटी
-
कटार की नोक
उदाहरण
. कौडी के आर पार है कौडी कटार की ।
कौड़ी के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएकौड़ी के यौगिक शब्द
संपूर्ण देखिएकौड़ी के अंगिका अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- समुद्री जीव का कंकाल, द्रव्य, रूपया पैसा, कर आँख का ढेला, गिलटी जो कॉख या जांघ में होती है, छोटी हक़ी जो छाती के नीचे बीच में होती है, कटार, नोक
कौड़ी के अवधी अर्थ
- कौड़ी जो पहले सिक्के की भाँति चलती थी
कौड़ी के कन्नौजी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- घोंघे, शंख आदि के वर्ग के कीड़े की अस्थि कोश, जो विनिमय के साधन के रूप में काम में लाया जाता था. 2. पैसा, धन
कौड़ी के कुमाउँनी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- मूल्यहीन वस्तु (2740)
कौड़ी के ब्रज अर्थ
कौड़ि
स्त्रीलिंग
-
अस्थिकोश में रहने वाला कीड़ा विशेष ; मुद्रा , धन
उदाहरण
. संग नहि जात तेरे कौडीह छदाम के ।
कौड़ी के मगही अर्थ
अरबी ; संज्ञा
- शंख की जाति के छोटे समुद्री जीव की अस्थि जिसका पूर्व काल में बहुत छोटे सिक्के के रूप में प्रचलन था; जाँघ, काँख, तथा गले की गिलटी; कर महसूल; हाट बाजार में वसूला जाने वाला टैक्स, धन, द्रव्य, रुपया-पैसा; जमींदारी अथवा संपत्ति का अंश या हिस्सा निकालने का एक
कौड़ी के मालवी अर्थ
कवड़ी
संज्ञा, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग
- कौड़ी।
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