khair meaning in garhwali
खैर के गढ़वाली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- बबूल की प्रजाति का एक वृक्ष विशेष जिससे कत्था बनता है
अव्यय
- जो हुआ सो हुआ, ऐसा ही सही, जो भी होगा देखा जाएगा, सही-सलामती, कुशल, मंगल
Noun, Masculine
- a tree from which catechu is extracted. Acacia catechu.
Inexhaustible
- let it be, than, in that case, let it be so, let it go, all right, very good, leave it; well being.
खैर के अँग्रेज़ी अर्थ
Noun, Masculine
- catechu
खैर के हिंदी अर्थ
संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग
-
एक प्रकार का बबूल , कथकीकर , सोनकीकर
विशेष
. इसका पेड़ बहुत बड़ा होता है और प्राय; समस्त भारत में अधिकता से पाया जाता है । इसके हीर की लकड़ी भूरे रंग की होती हैं,घुनती नहीं और घरतथा खेती के औजार बनाने के काम में आती है । बबूल की तरह इसमें भी एक प्रकार का गोंद निकलता है और बड़े काम का होता है ।उदाहरण
. खैर की लकड़ी से सत निकाला जाता है। - इस वृक्ष की लकड़ी के टुकड़ों को उबालकर निकाला और जमाया हुआ रस जो पान में चूने के साथ लगाकर खाया जाता है, कत्था, खदिर
- खैर की लकड़ी का निकला हुआ सत्त
देशज ; संज्ञा, पुल्लिंग
-
दक्षिण भारत का भूरे रंग का एक पक्षी
विशेष
. लंबाई में यह एक बालिश्त से कुछ अधिक होता है और झोपड़िय��ं या छोटे पेड़ों में घोसला बनाकर रहता हैं । इसका घोसला प्रायः जमीन से सटा हुआ रहता है । इसकी गरदन और चोंच कुछ सफेंदी लिए होती है ।
क्रिया-विशेषण
- ऐसा ही सही
खैर के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएखैर के यौगिक शब्द
संपूर्ण देखिएखैर के अंगिका अर्थ
विशेषण
- छोड़ो शब्द, हटाओ
खैर के अवधी अर्थ
खयर, खैरि, खइर, खयरा
संज्ञा, पुल्लिंग
- खैर, कत्था
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- कुशल
- 'कत्था' के अर्थ में इस शब्द का रूप 'खयर' है
- कत्थई या भूरे रंग का
खैर के कन्नौजी अर्थ
अरबी ; संज्ञा, स्त्रीलिंग, अव्यय
- भलाई, कुशल
- अच्छा, अस्तु
खैर के कुमाउँनी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- एक वृक्ष विशेष जिससे कत्था बनता है
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- कुशल, खैर-खबर, कुशल-मंगल
अव्यय
- अच्छा तो या अस्तु अर्धक अपव्यय
खैर के बुंदेली अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- कुशल, भलाई,
खैर के ब्रज अर्थ
पुल्लिंग
- वृक्ष विशेष ; कत्था
स्त्रीलिंग
- कुशल क्षेम , भलाई
खैर के भोजपुरी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
कत्था;
उदाहरण
. खैर के काला-बाजारी बहुते होखे लागला
Noun, Masculine
- catechu.
खैर के मगही अर्थ
हिंदी ; संज्ञा
- बबूल की जाति का मझोले आकार का एक पेड़ जिसकी लकड़ी को उबाल कर कत्था तैयार करते हैं, कथ, कीकर; उस वृक्ष से तैयार कथ जिसे पान में खाते हैं;
- कुशल मंगल
खैर के तुकांत शब्द
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