kho.ii meaning in braj
खोई के ब्रज अर्थ
स्त्रीलिंग
- रसविहीन गन्ने का डंठल
खोई के हिंदी अर्थ
संस्कृत ; संज्ञा, स्त्रीलिंग
-
ऊख के गंडों के वे डंठल जो रस निकल जाने पर कोल्हू में शेष रह जाते हैं, छोई, २ भुने हुए चावल या धान की खील, लाई
उदाहरण
. खोई जलावन के काम में आती है। - कोल्हू की पिराई के बाद गन्ने का रसविहीन अंश
- कंबल की घोघी
- रस निकालने के बाद गन्ने का सुखाया हुआ डंठल या तना जिसको ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है
- एक प्रकारकी घास जिसे 'बूर' भी कहते हैं, वि॰ दे॰ 'बूर'
- भुना हुआ चावल; लाई
- सिर पर बँधा कंबल या चादर
- सट्टे में होने वाला नुकसान
हिंदी ; विशेषण
- नटखट, शरारती
खोई के कन्नौजी अर्थ
- खोई. गन्ने का रस मुँह से चूसने के बाद बचे हुए छिलके
खोई के गढ़वाली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- खोली, प्रवेशद्वार, मकान का मुख्य दरवाजा
Noun, Masculine
- entrance door, main gate.
खोई के तुकांत शब्द
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