कुंदी

कुंदी के अर्थ :

कुंदी के हिंदी अर्थ

हिंदी ; संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • धुले या रँगे हुए कपड़ों की तह करके उनकी सिकुड़न और रुखाई दूर करने तथा तह जमाने के लिये उसे लकड़ी की मोगरी से कूटने की क्रिया

    विशेष
    . इस देश में इस्तरी की प्रथा का प्रचार होने से पहले धोबी इसी का व्यवहार करते थे । आजकल भी कमखाब आदि पर कुंदी ही की जाती है । २

  • खूब मारना , ठोंकना , पीटना , क्रि॰ प्र॰—करना

संस्कृत ; संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • काय फल
  • कुंभी जलकुंभी
  • कुंभ नामक पेड़
  • एक प्रकार का बड़ा वृक्ष , अरजम

    विशेष
    . यह बहुत जल्दी बढ़ता और प्रायः सारे भारत में पाया जाता है । इसकी छाल से चमड़ा सिझाया जाता है और रेशों से रस्से आदि बनते हैं । कहीं कहीं अकाल के दिनों में इसकी छाल आटे की एरह पीसकर खाई भी जाती है । लकड़ी से खेती के औजार छाजन की बल्लियाँ गाडियों के धुरे और बंदूक के कुंदे बनाए जाते हैं । यह पानी में जल्दी सड़ता नहीं । जंगली सूअर इसकी छाल बहुत मजे में खाते हैं, इसलिये शिकारी लोग उनका शिकार करने के लिये प्रायः इसका उपयोग करते हैं ।

कुंदी के अंगिका अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • धुनिया का एक भांति, कपड़े की कुटाई जो इसके फूलने सिकुड़ने तथा रूखाई दूर करने के लिए की जाती है

कुंदी के बुंदेली अर्थ

क्रिया

  • नये बने कपड़े का मुँगरी से ठोक कर सूत बिठालना, पहलवानों के शरीर पर धीरे-धीरे मुक्के मार कर थकान मिटाना

कुंदी के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • कपड़ा पिटनाइ

Noun

  • beating cloth for softening.

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