लास्य

लास्य के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

लास्य के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • नृत्य , नाच
  • नाच या नृत्य के दो भेदों में स एक , वह नृत्य जो भाव और ताल आदि के सहित हो, कोमल अंगों के द्वारी हो और , जसके द्वारा शृंगार आदि कोमल रसों का उद्दीपन होता हो

    विशेष
    . साधरणतः स्त्रियों का नृत्य ही लास्य कहलाता है । कहते है, शिव और पर्वती ने पहले पहल मिलकर नृत्य किया था । शिव का नृत्य तांडव कहलाया और पार्वती का 'लास्य' । यह लास्य दो प्रकार का कहा गया है—छुरित और यौवत । साहित्यदर्पण में इसके दस अंग बतलाए गए हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं—गेयपद, स्थितपाठ, आसीन, पुष्पगंडिका, प्रच्छेदक, त्रिगूढ़, सैंधबाख्य, द्विगूढ़क, उत्तमीत्तमक और युक्तप्रयुक्त ।

  • नट , अभिनेता , नर्तक (को॰)

लास्य के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

लास्य के मैथिली अर्थ

  • दे. लास (1)

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