लोध

लोध के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत
  • अथवा - लोधी

लोध के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक जाति (किसान)

लोध के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक प्रकार का वृक्ष जो भारतवर्ष के जंगलों में उत्पन्न होता है

    विशेष
    . इस वृक्ष की छाल रँगने, चमड़ा सिझाने और ओषधियों में काम आती है । छाल को गरम पानी में भिगो देने से पीला रंग निकलता है । कहीं कहीं इसकी छाल पानी में उबालकर भी रंग निकाला जाता है । छाल को सज्जी मिट्टी के साथ पानी में उबालने से लाल रंग निकलता है, जिससे छींट छापते हैं । वैद्यक में इसकी छाल और लकड़ी दोनों का प्रयोग होता है । इसकी छाल कुछ कसैली होती है पेचिश आदि पेट के कई रोगों में दी जाती है । इसका गुण ठंढा है और २० ग्रेन तक इसकी मात्रा है । इसके काढ़े का भी प्रयोग किया जाता है । लोध की लकड़ी के काढ़े से कुल्ला करने से मसूढ़े से रक्त निकलना जाता रहता है और वह द्दढ़ हो जाता है । इसकी लकड़ी जल्दी फट जाती है; पर मजबुत होती है औऱ कई तरह के काम में लाई जाती है ।

  • एक जाति का नाम

लोध के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक जंगली औषधीय वृक्ष जिसके फूल लाल या सफेद होते हैं

Noun, Masculine

  • a wild medicinal tree bearing white and red flower. Symplocos chinensis.

लोध के मैथिली अर्थ

  • एक वनौषधि
  • a tree; Symlocos Racemosa.

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