मोड़ी

मोड़ी के अर्थ :

  • स्रोत - हिंदी

मोड़ी के अंगिका अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • घसीट लिखने की एक प्रकार की लिपि जिसमें प्राय: मराठी भाषा लिखी जाती है

मोड़ी के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • घसीट वा शीघ्र लिखने की लिपि
  • दक्षिण भारत की एक लिपि जिसमें प्रायः मराठी भाषा लिखी जाती है

    विशेष
    . इस लिपि की उत्पत्ति के विषय में कुछ लोगों का कहना हैं कि हेमाद्रि पंडित ने इसको लंका से लाकर महाराष्ट्र देश में प्रचलित किया । किंतु शिवाजी के पहले इसके प्रचार का कोई पता नहीं चलता । शिवाजी द्वारा राजकीय लिपि के रूप में स्वीकृत नागरी लिपि को त्वरा के साथ लिखने योग्य बनाने के विचार से शिबाजी के 'चिटनिस' (मंत्री, सरिश्तेदार) बालाजी अबाजी ने इसके अक्षरों को मोड़ ( तोड़ मरोड़) कर एक नई लिपि तैयार की । जिसे 'मोड़ी' कहते हैं (दे॰ भा॰ प्रा॰ लि॰, पृ॰ १३१-१३२) ।

मोड़ी के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • गन्दा पानि बहबाक नाली
  • महाराष्ट्रक एक प्राचीन लिपि

Noun

  • drain.
  • an obsolete script of Marathas.

मोड़ी के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग

  • दुल्हन के सिर पर धारण करवाया जाने वाला मुकुट, किरीट, तुर्रा या शिरोभूषण, वि. देरी, विलम्ब, जिसके सिर पर प्राकृतिक रूप से तुर्रा या मोड़ हो जैसे मोर के सिर की मोड़ी, एक पुरानी लिपि।

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