मुँह

मुँह के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

मुँह के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • प्राणी का वह अंग जिससे वह बोलता और भोजन करता है , मुखविवर

    विशेष
    . प्रायः सभी प्राणियों का मुँह सिर में होता है और उससे वे खाने का काम लेते हैं । शब्द निकालनेवाले प्राणी उससे बोलने का भी काम लेते हैं । अधिकांश जीवों के मुँह में जीभ, दाँत और जबड़े होते हैं; और उसे खोलने या बंद करने के लिये आगे की ओर ओंठ होते हैं । पक्षियों तथा कुछ और जीवों के मुँह में दाँत होते । कुछ छोटे छोटे जीव ऐसे भी होते हैं जिनका मुँह पेट या शरीर के किसी और भाग में होता है । २

    उदाहरण
    . कतओक दैत्य मारि मुँह मेलत कतओ उगलि कैल कूड़ा ।

  • मुनष्य का मुखबिबर

    विशेष
    . प्रायः गरमी आदि के रोग में पारा आदि कुछ विशिष्ट औषद खाने से ऐसा होता है ।

  • मनुष्य अथवा किसी और जीव के सिर का अगला भाग जिसमें माथा, आँखें, नाक, मुँह, कान, ठोड़ी और गाल आदि अंग होते हैं , चेहरा
  • दाह कर्म करना , मुरदे को जलाना , (उपेक्षा॰) , (३) कुछ ले देकर दूर करना , (अपना) मुँह टेढ़ा करना=मुँह फुलाना , अप्रसन्नता या असतोष प्रकट करना , (दूसरे का) मुँह टेढ़ा करना= दे॰ 'मुँह तोड़ना' , मुँह ढाँकना=किसी के मरने पर उसके लिये शोक करना या रोना , (मुसल॰) , (किसी का) मुँह ताकना=(१) किसी का मुखापेक्षी होना , किसी के मुँह की और, कुछ पाने आदि की आशा से देखना

    विशेष
    . इसके साथ संयो॰ क्रि॰ लेना या बैठना आदि का भी प्रयोग होता है । . प्रायः लाग मानते है कि प्रातःकाल सोकर उठने के समय शुभ या अशुभ आदमी का मुँह देखने का फल दिन भर मिला करता है ।

    उदाहरण
    . इमान जामिन की दोहाई जिस तरह पीठ दिखाते हो उसी तरह मुँह भी दिखाओ ।

  • किसी पदार्थ के ऊपरी भाग का विवर जो आकार आदि में मुँह से मिलता जुलता हो , जैसे,—इस बरतन का मुँह बाँधकर रख दो
  • सूराख , छिद , छद्र , जैसे,— दो दिन में इस फोड़े में मुँह हो जायगा
  • मुलाहजा , मुरव्वत , लिहाज , जैसे,—हमे��� तो खाली तुम्हारा मुँह है; उससे तो हम कभी बात ही नहीं करते
  • योग्यता , सामर्थ्य , शक्ति , जैसे,—तुम्हारा मुँह नहीं है कि तुम उसके सामने जाओ
  • साहस , हिम्मत
  • ऊपरी भाग , उपर की सतह या किनारा

मुँह से संबंधित मुहावरे

मुँह के कन्नौजी अर्थ

मुँहु

संज्ञा, पुल्लिंग

  • प्राणियों के शिरोभाग में स्थित वह छिद्र जिससे आहार ग्रहण किया जाता है, बोला जाता है, मुख

मुँह के ब्रज अर्थ

मुंह

पुल्लिंग

  • मुख , आनन

    उदाहरण
    . तुम हमकौं कहें-कहें न उबार्यो पियो काली मुंह फैनु।

मुँह के मगही अर्थ

  • प्राणियों के खाने-पीने और बोलने का अंग; चूल्हे में ईंधन झोकने का छेद; कोठी,ठेध आदि से अन्न बाहर गिराने का छेद; भभका, आन; बरतन तथा बर्तननुमा अन्य पदार्थ का खुला भाग, जिससे उसका उपयोग होता है; छेद, सुराख, बिल; खुलने या निकलने की दिशा, यथा: पूरब मुंह के घर

  • कलंक; बदनामी; बेइज्जती, किसी को कलंकित करने का काम

  • खोटी या ओछी बात बोलने वाला; अपशब्द या अशिष्ट कथन करने वाला, खरी खोटी सुनाने वाला

  • मुँह दुबरई, दे. 'मुँहचोर'

  • मुँह दुबरई, दे. 'मुँहचोर'

  • नववधु का मुह देखने का रस्म , दे. 'मुँहछुआई'

  • नि:संकोच बोलने वाला, जो किसी की बात का तुरत जवाब , दे. 'मुँहफट'

  • खाद्य पदार्थ उपलब्ध रहने पर भी न खाना

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